भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का ICAR - Indian Agricultural Research Institute, New Delhi के 62वें दीक्षांत समारोह में सम्बोधन (HINDI)
नई दिल्ली : 09.02.2024
हरित क्रांति के प्रमुख केंद्र और कृषि के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान देने वाले भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के 62वें दीक्षान्त समारोह में आकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता महसूस हो रही है। सर्वप्रथम मैं आज स्नातक हो रहे विद्यार्थियों को बधाई देती हूँ और आपके स्वर्णिम भविष्य की कामना करती हूँ। मैं आज पुरस्कृत होने वाले वैज्ञानिकों को भी बधाई देती हूं जिन्होंने कृषि के क्षेत्र में अपना उत्कृष्ट योगदान दिया है।
पिछले वर्ष अक्टूबर में, मैंने इसी ऑडिटोरियम में एक International Conference को सम्बोधित करते हुए कहा था कि ecologically sustainable, ethically desirable, economically affordable और socially beneficial उत्पादन के लिए, हमें अनुसंधान की आवश्यकता है। मैं आशा करती हूं कि आज स्नातक हो रहे सभी विद्यार्थी जहां भी जायेंगे अपने संस्थान की गरिमा को बढ़ाते हुए उच्च मानकों के अनुकूल कार्य करेंगे।
Indian Agricultural Research Institute ने भारत द्वारा खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने में अतुलनीय योगदान दिया है। इस संस्थान ने न केवल कृषि से जुड़े अनुसंधान एवं विकास कार्यों को दक्षतापूर्वक किया है बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि ऐसी जानकारी प्रयोगशाला के बाहर धरातल पर जाकर मूर्त रूप ले सके। मुझे खुशी है कि किसानों के साथ वैज्ञानिकों के संपर्क को बढ़ावा देने के लिए एक अभिनव पहल "मेरा गांव मेरा गौरव" की शुरुआत की गयी है। IARI के बहुआयामी कार्यों ने देश के कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता में लगातार वृद्धि सुनिश्चित की है। इसके लिए मैं IARI परिवार की विशेष सराहना करती हूं।
स्थापना के बाद से ही यह संस्थान देश के लिए मानव-संसाधन विकसित करने का कार्य कर रहा है। मुझे बताया गया है कि IARI के अंतर्गत कई Schools हैं जैसे School of Crop Improvement, School of Plant Protection, School of Basic Sciences, School of Natural Resource Management, School of Social Sciences, School of Horticultural Science. ये सभी Schools अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।
IARI ने कृषि विकास के लिए निरंतर कार्य किया है। इस संस्थान ने 200 से ज्यादा नयी तकनीकों का विकास किया है। वर्ष 2005 से 2020 के बीच ही IARI ने 100 से ज्यादा varieties विकसित की है और 100 से ज्यादा patents अपने नाम की हैं। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि यह संस्थान अनुसंधान के साथ-साथ एक वैश्विक विश्वविद्यालय बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। मुझे बताया गया है कि इस संस्थान द्वारा लगभग 500 अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की जा चुकी हैं। पड़ोसी देशों में मानव संसाधन विकास कार्य करके IARI ने न केवल ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के दर्शन का परिचय दिया है, बल्कि भारत की Soft Power को भी बढ़ाया है।
देवियो और सज्जनो,
जैसा कि हम सब जानते हैं, भारत में एक बहुत बड़ी जनसंख्या कृषि से जीविका अर्जन करती है। कृषि का भारत के सकल घरेलू उत्पाद में भी महत्वपूर्ण योगदान है। एक कृषि प्रधान परिवार से आने के कारण मैं जानती हूं कि एक किसान खाद्यान्न उपलब्ध कराके कितनी संतुष्टि का अनुभव करता है। हमारी अर्थव्यवस्था के इस आधार का अधिकाधिक विकास हो, इसमें कोई अवरोध न हो, यह सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि किसान के हल की नोक से खींची गई रेखा सभ्यता के पूर्व के समाज और विकसित समाज के बीच की रेखा है। किसान न केवल विश्व के अन्नदाता हैं, बल्कि सही अर्थों में जीवनदाता हैं। गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा है ‘God is where the tiller is tilling the hard ground’.
देवियो और सज्जनो,
महात्मा गांधी ने कहा था, 'देश की प्रगति गांवों के विकास में निहित है’। कृषि के योगदान के बिना देश की अर्थव्यवस्था सुचारु रूप से नहीं चल पाएगी। हमने COVID 19 महामारी के दौरान देखा है कि कृषि एकमात्र ऐसा क्षेत्र था जिसने भारत के सकल घरेलू उत्पाद में सकारात्मक वृद्धि दिखाई। किसानों की आय को बढ़ाने के लिए, नवीन कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए, सिंचाई व्यवस्था सुचारु रूप से उपलब्ध कराने के लिए सरकार बहुत तेजी से कार्य कर रही है।
Soil Health Card योजना किसानों के लिए एक बहुत लाभदायक योजना है जिसके माध्यम से soil health की वर्तमान स्थिति का आकलन किया जा सकता है। प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से सरकार फसल क्षति में बीमा कवर प्रदान करती है ताकि किसानों की आय को स्थिर करने में मदद मिल सके।
सरकार ने सभी फसलों के लिए MSP में काफी वृद्धि की है जिससे किसानों को आय सुरक्षा प्रदान की जा सके। परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत जैविक खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप soil health में सुधार हुआ है। किसान सम्पदा योजना से देश में खाद्य प्रसंस्करण को व्यापक बढ़ावा मिलने के साथ-साथ किसानों को बेहतर मूल्य पाने में सहायता मिलेगी। यह किसानों की आमदनी दोगुनी करने की दिशा में एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा।
देवियो और सज्जनो,
हम सब किसान एवं कृषि संबंधी समस्याओं से अवगत हैं। हमारे कितने ही किसान भाई-बहन आज भी गरीबी में जीवन-यापन कर रहे हैं। किसान को उसकी उपज का सही मूल्य मिले, वह अभावग्रस्त जीवन से समृद्धि की और बढ़े, इस दिशा में हमें और भी अधिक तत्परता से आगे बढ़ना होगा। मुझे पूर्ण विश्वास है कि वर्ष 2047 में जब भारत विकसित राष्ट्र बनकर उभरेगा, तब भारत का किसान इस यात्रा का अग्रदूत होगा।
अंत में, एक बार फिर मैं IARI परिवार के सभी सदस्यों और स्नातक विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूं।
जय हिन्द!
जय भारत!
जय किसान!