भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 37वें सूरजकुण्ड अन्तरराष्ट्रीय शिल्प मेला-2024 के उद्घाटन के अवसर पर सम्बोधन

फ़रीदाबाद - सूरजकुंड : 02.02.2024

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मैं इस मेले में भागीदारी करने वाले सभी शिल्पकारों को बधाई देती हूं। मुझे बताया गया है कि इस अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले का आयोजन केंद्र सरकार तथा हरियाणा की राज्य सरकार के सहयोग से किया जाता है। इस मेले के आयोजन से जुड़े सभी मंत्रालयों और विभागों की मैं सराहना करती हूं। इस मेले में उत्साह से भाग लेने वाले सभी आगंतुक भी प्रशंसा के पात्र हैं।

वर्ष 1987 से शुरू किया गया यह वार्षिक मेला एक सफल आयोजन के रूप में प्रसिद्ध हो चुका है। इस सफलता के लिए मैं इस मेले से जुड़े वर्तमान और पूर्ववर्ती टीमों की सराहना करती हूं।

इस वर्ष के मेले का आयोजन करने के लिए मैं हरियाणा के मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल जी और उनकी टीम के सभी सदस्यों की विशेष प्रशंसा करती हूं।

Ladies and gentlemen,

I am happy to learn that Tanzania is the partner nation for this year’s Mela.

I extend my greetings to our friends from Tanzania who have come all the way to take part in this Mela.

I had the pleasure of hosting Her Excellency President Samia Suluhu Hassan in October last year. During our discussions, we agreed on the importance of further expanding our cultural exchanges.

I am sure that visitors to the Mela will get a chance to experience the vibrant and colorful Tanzanian arts and crafts, including wood carving, pottery, and weaving.

This is also a wonderful platform to showcase Tanzanian dance, music, and cuisine, in which we can also glimpse some Indian influence, thanks to the centuries of people-to-people contact between India and the East African coast.

Tanzania’s participation as the partner nation in this Mela highlights India’s engagement with the African Union.

I also extend a very warm welcome to participants from several other countries who are here to enrich this Mela. The presence of participants from Tanzania and other countries makes this Mela truly international. Art and craft cut across borders and build bridges of understanding. Artists and crafts-persons are creative ambassadors of humanity.

देवियो और सज्जनो,

इस वर्ष के मेले के साझीदार राज्य गुजरात की कला परंपरा अत्यंत समृद्ध है। गुजरात के विभिन्न क्षेत्रों के शिल्पकार पटोला, रोगन चित्रकारी, टंगालिया शाल और कपड़े, बांधणी तथा संखेड़ा फर्नीचर जैसी अनेक कलाओं को जीवंत रखते हैं। मैंने कुछ कलाओं का ही नाम लिया है लेकिन सभी कलाएं अनमोल हैं और इन कलाओं को आगे बढ़ाने वाले कलाकारों की मैं सराहना करती हूं।

मुझे गुजरात की पारंपरिक कला, ‘माता नी पछेड़ी’ के प्रसिद्ध शिल्पकार श्री भानुभाई चितारा जी को वर्ष 2023 का पद्मश्री पुरस्कार प्रदान करने का अवसर मिला। गुजरात की चित्रकला ‘पिथोरा’ का सुंदर प्रदर्शन करने वाले श्री परेश राठवा जी को भी वर्ष 2023 का पद्मश्री पुरस्कार प्रदान करने का अवसर मुझे मिला। पुरस्कार मिलना तो एक सम्मान है लेकिन सच्चे कलाकारों को अपनी कला को निखारने में जो आनंद आता है वह सबसे बढ़कर है। मैं आप सभी कलाकारों को साधक मानती हूं।

North-Eastern Handicrafts and Handlooms Development Corporation इस वर्ष के मेले में सांस्कृतिक भागीदार है। North-Eastern Handloom से मुझे असम की बहन श्रीमती हेमप्रभा सुतीया जी का स्मरण हुआ। उन्हें पद्मश्री पुरस्कार प्रदान करने का अवसर मुझे मिला। हेमप्रभा जी ने भगवद्गीता और अन्य महान ग्रन्थों की कथा और दर्शन को हथकरघे से कपड़ों पर सजीव कर दिया है। North-East की एक और बहन, नागालैंड की श्रीमती नैहुनुओ सोर्ही जी ने अनेक कठिनाइयों के बीच, हथकरघा और हस्तशिल्प में महारत हासिल की है और उन्हें आगे बढ़ाया है। उनको भी वर्ष 2023 के पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित करने का अवसर मुझे मिला। 

देवियो और सज्जनो,

हमारे शिल्पकार भाई-बहनों ने हमारे देश की कला-विरासत को संजोकर रखा है। इसके लिए मैं देश के सभी शिल्पकारों की सराहना करती हूं।

हमारे मृत्-शिल्पी और मूर्तिकार मिट्टी और पत्थर में प्राण फूंक देते हैं। हमारे चित्रकार रंगों के माध्यम से ऐसे चित्र बनाते हैं जो जीवंत लगते हैं। हमारे शिल्पकार विभिन्न धातुओं और लकड़ी जैसे ठोस पदार्थों को अविश्वसनीय आकार और स्वरूप प्रदान कर देते हैं। हमारे कल्पनाशील बुनकर वस्त्रों और परिधानों में अद्भुत सुंदरता का सृजन करते हैं। ऐसी अनेक कलाओं से हमारे देश के शिल्पी सदियों से हमारे देशवासियों के जीवन को सजाते-संवारते रहे हैं। ऐसे शिल्पी भारत की सभ्यता और संस्कृति के निर्माता भी रहे हैं और संरक्षक भी। आज के हमारे शिल्पकार भाई-बहन, हमारी सभ्यता और संस्कृति की उस अनमोल विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

यह मेला हमारी सांस्कृतिक विविधता का उत्सव है। यह मेला हमारी परंपरा का उत्सव भी है और नवीनता का भी। यह मेला हमारे शिल्पकारों को कला प्रेमियों से जोड़ने का प्रभावी मंच है। यह मेला कला प्रदर्शनी भी है और व्यापार केंद्र भी है। यह मेला अनेक देशों के हस्तशिल्पियों का महाकुंभ है। इस मेले के आयोजन के लिए मैं एक बार फिर सभी आयोजक संस्थानों और विभागों को बधाई देती हूं।

मुझे विश्वास है कि इस मेले के आयोजन के सभी उद्देश्य प्राप्त कर लिए जाएंगे। मैं सभी शिल्पकारों के उज्ज्वल भविष्य की मंगलकामना करती हूं।

धन्यवाद! 
जय हिन्द! 
जय भारत!

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