भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा 'एस्पाइरिंग फॉर सुपरमाइंड इन द सिटी ऑफ इवोल्विंग कॉन्शसनेस' विषय पर सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर संबोधन।
ऑरोविले : 08.08.2023
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'एस्पाइरिंग फॉर सुपरमाइंड इन द सिटी ऑफ इवोल्विंग कॉन्शसनेस' विषय पर सम्मेलन का उद्घाटन करने के लिए ऑरोविले आना मेरे लिए गहरे आध्यात्मिक महत्व की बात है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ऑरोविले श्री अरविंदो का सपना था जिसे उनकी माँ ने वास्तविक रूप दिया था। उनकी शिक्षाएँ और दर्शन दुनिया भर में लाखों साधकों को प्रेरित और मार्गदर्शन करते हैं।
मैं, स्वयं उन लोगों में से हूं जिन्होंने श्री अरविंदो और मां के दृष्टिकोण से लाभ उठाया है। मुझे 1990 के दशक के दौरान लगभग तीन वर्षों तक श्री अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर, रायरंगपुर में मानद शिक्षक के रूप में सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मै यह स्वीकार करती हूँ कि मैंने जितना सिखाया उससे अधिक सीखा। मैं, शिक्षा केंद्र में आध्यात्मिक रूप से समृद्ध अनुभव के लिए ऋणी रहूंगी।
देवियो और सज्जनो,
अगले सप्ताह मंगलवार, 15 अगस्त को हम सभी अपना स्वतंत्रता दिवस मनायेंगे। यह बहुत ही महत्वपूर्ण संयोग है कि महर्षि अरविंदो की जयंती भी 15 अगस्त को होती है और व्यापक रूप से मनाई जाती है। वर्ष 1925 में, अपने जन्मदिन पर, श्री अरविंदो ने कहा था, जिसे मैं उद्धृत करती हूँ:
“..., मन बांटने के आधार पर काम करता है। यह हमेशा सत्य को टुकड़े-टुकड़े में स्वीकारता है, ... हम देखते हैं कि यह समस्याओं को हल करने में सक्षम नहीं है ... मन से पार जाना संभव है जहां अति-मन है जहां अनंत चेतना घनीभूत है।“
भारत की स्वतंत्रता पर, श्री अरविंदो ने देश और मानवता के लिए अपने सपनों को रेखांकित करते हुए एक महत्वपूर्ण भाषण दिया। उन्होंने भारत के आध्यात्मिक उपहार को दुनिया तक पहुंचाने का सपना देखा था। उन्होंने लिखा कि दुनिया आशा के साथ भारत की ओर देख रही है। आज की दुनिया में, भारत का अन्य देशों में उच्च स्थान है। भारत का संदेश आर्थिक और तकनीकी क्षेत्रों से आगे की बात है। भारत का संदेश 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' या 'वसुधैव कुटुंबकम' श्री अरविंदो द्वारा प्रचारित आदर्शों को दर्शाता है। आज, मैंने मातृ-मंदिर का दौरा किया। वह दुर्लभ और अनोखा मंदिर भीतर से जुड़े होने का अनुभव पैदा करता है। मातृ-मंदिर की विशेष वास्तुकला, माँ और श्री अरविंदो के आदर्शों और शिक्षाओं को दर्शाती है।
शहर-योजना के बारे में माँ के दृष्टिकोण पर आधारित सिटी एक्सिबिशन एकीकृत और स्थाई शहरी विकास के लिए एक अभिनव मॉडल प्रस्तुत करती है। आज विश्व को एकता, शांति और सद्भाव की अवधारणाओं को गहराई से अपनाने की आवश्यकता है। इन अवधारणाओं में न केवल मनुष्य बल्कि सभी जीवित प्राणी,प्रकृति और संपूर्ण ब्रह्मांड शामिल हैं।
मुझे श्री अरविंदो आश्रम आकार बहुत खुशी हुई है, जिसकी स्थापना लगभग 100 साल पहले 1926 में की गई थी। माँ के मार्गदर्शन में, आश्रम एक बड़े, बहुआयामी आध्यात्मिक समुदाय के रूप में विकसित हुआ है। वर्ष 1952 में माँ ने श्री अरविंदो इंटरनेशनल सेंटर ऑफ एजुकेशन की स्थापना की थी। बाद में, 1968 में इस अंतर्राष्ट्रीय टाउनशिप, ऑरोविले की स्थापना की गई। जैसा कि मैंने इसके बारे में सुना था, मैंने देखा है कि ऑरोविले वास्तव में मानव एकता और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने में एक अनूठा प्रयोग है। दो महान आत्माओं ने इस
सार्वभौमिक टाउनशिप की परिकल्पना और स्थापना की थी। यहाँ प्राण एक होते हैं, मन स्वतंत्रता प्राप्त करते हैं और यहाँ अति चेतना का अनुभव किया जा सकता है।
देवियो और सज्जनो,
श्री अरविंदो का मानना था कि सुपरमाइंड मनुष्य को दिव्य प्राणि बना सकता है । उन्होंने यह दर्शन दिया कि अतिमानसिक चेतना में इस भौतिक जगत को दिव्य बनाने की क्षमता है। हम में से प्रत्येक के लिए दिव्यता का एक अलग अर्थ और परिभाषा है। लेकिन एक बात सामान्य है। जो दिव्य है उसे भौतिकता से ऊपर और मूर्त से पार होना होगा। दिव्य मन एक शुद्ध मन है। यह स्वयं से ऊपर है। यह सबकी प्रगति, एकता और विकास के बारे में सोचता है।
महर्षि अरविन्द ने स्वतंत्रता की अनूठी अवधारणा दी। एक क्रांतिकारी राष्ट्रवादी से आध्यात्मिक गुरु बनने तक की उनकी परिवर्तनकारी यात्रा के दौरान उनकी 'स्वतंत्रता' की अवधारणा में भी बड़ा बदलाव आया।
श्री अरविंदो ने स्वयं जागृति का अभ्यास और अनुभव किया। आध्यात्मिक रूप से जागृत मन एक सामान्य प्राणी को सचेतन प्राणी में बदल सकता है। जागृति ही व्यक्तियों, संगठनों, देशों और दुनिया को बदल सकती है। जो जागृत होता है वह आसपास के लोगों, विशेषकर वंचितों की जरूरतों के प्रति भी संवेदनशील होता है। जब जागृत मन एक हो जाते हैं और एक-समान लक्ष्यों की दिशा में काम करते हैं, तो अकल्पनीय परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
देवियो और सज्जनो,
ऑरोविले एक ऐसा स्थान है जहां मानव मस्तिष्क खोजबीन करता है, विकसित होता है और अति-चेतन होने के बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करता है। आप सब न केवल अपने मन को बल्कि लाखों साधकों के मन को परिवर्तित करने का प्रयास कर रहे हैं। वास्तव में, ऑरोविले के आध्यात्मिक उद्देश्य संपूर्ण मानवता के लाभ के लिए हैं।
ऑरोविले अनंत स्वतंत्रता की खोज को बढ़ावा देता है। यह सभी मनुष्यों के विकास को बढ़ावा देता है। यह साधकों को उच्च चेतना के स्तर पर जाना सिखाता है।
मुझे लगता है कि महर्षि अरविंदो द्वारा प्रतिपादित ब्रह्मांडीय सत्ता का विचार उन मुद्दों के लिए बहुत प्रासंगिक है जिनका आज विश्व सामना कर रहा है। ब्रह्मांडीय चेतना की अवधारणा को समझने और अपनाने से ही आज दुनिया के सामने आने वाले कई मुद्दों का सद्भाव के साथ समाधान किया जा सकता है। सर्वोच्च सत्ता और ब्रह्मांडीय मन की अवधारणाएँ जीवन के अंतिम उद्देश्य की प्राप्ति की ओर ले जाती हैं। ये आदर्श दुनिया को सौहार्दपूर्ण और शांतिमय बना सकते हैं।
मैं ऑरोविले के निवासियों और भारत और दुनिया भर से यहां एकत्र हुए सभी सद्भावपूर्ण पुरुषों और महिलाओं को एक महत्वपूर्ण संदेश देना चाहती हूं। आप जो अच्छा काम कर रहे हैं वह भारत के 'अमृत काल' की ओर बढ़ने के संदर्भ में अधिक महत्व रखता है। भारत वैश्विक चुनौतियों का स्थाई समाधान प्रदान करने में दुनिया का नेतृत्व करने के लिए तैयार है। ऑरोविले कम्यूनिटी इस प्रयास में एक बड़ा योगदान दे सकती है।
अंत में मैं आप सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देती हूं। मैं कामना करती हूँ की विश्व समुदाय अति-मानस के आध्यात्मिक लक्ष्य की तलाश करते हुए सत्य, करुणा और सद्भाव के मार्ग पर चले!
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!