भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय वन सेवा के प्रोबेशनर्स द्वारा मुलाक़ात के अवसर पर संबोधन

राष्ट्रपति भवन : 21.12.2022

डाउनलोड : भाषण भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय वन सेवा के प्रोबेशनर्स द्वारा मुलाक़ात के अवसर पर संबोधन(हिन्दी, 645.78 किलोबाइट)

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प्रिय प्रोबेशनर्स

भारतीय वन सेवा में चयन के लिए मैं आप सभी को बधाई देती हूं। चुनौतियों और अवसरों से भरा एक लंबा करियर आपका इंतजार कर रहा है। आप हमारी समृद्ध और विविध वन सम्पदा के संरक्षक हैं। आप हमारे वनवासी समुदायों की विरासत और संस्कृति के रक्षक भी हैं। participatory sustainable management के माध्यम से देश की ecological स्थिरता को बनाए रखने मेंआपको महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।

प्रिय अधिकारियों

जैसा कि हम सभी जानते हैं, भारत दुनिया के दस सबसे अधिक वन-समृद्ध देशों में से एक है। अपने प्राचीन शास्त्रों मेंभी हम देख सकते हैं कि हमारे पूर्वज ने वनों को सम्मान दिया है।

अथर्ववेद की यह प्रार्थना (काण्ड-12,सूक्त-1, मंत्र-11) हमारे प्राकृतिक संसाधनों के महत्व पर प्रकाश डालती है:

गिरयस्ते पर्वता हिमवन्तोऽरण्यं ते पृथिवि स्योनमस्तु।

इसका अर्थ है कि हमारे पूर्वज धरती को माता के रूप में पूजते थे। वे पहाड़ियों, बर्फ से ढके पहाड़ों और जंगलों को बहुत सम्मान देते थे। मूल प्रार्थना में खेती योग्य, उपजाऊ, पोषक काली और लाल मिट्टियों के बारे में बताया गया है जो जानदार और प्रतिरोधी मिट्टियां हैं और पूर्वजों द्वारा इन के समाप्त और कमजोर होने से इनकी रक्षा की गई है।

पृथ्वी पर वन, सबके जीवनका सहारा हैं। वन, वन्यजीव को आवास प्रदान करने और आजीविका का स्रोत होने से लेकर आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और बड़े कार्बन सिंक के रूप में कार्य करने की अलग-अलग भूमिका निभाते हैं। इनमें दुनिया की अनेक लुप्त प्राय प्रजातियां रहती हैं। भारत में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के वन अन्य देशों में कम ही देखने को मिलते हैं। लघु वन उत्पाद हमारे देश में 27 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका उपार्जन में सहयोग करते हैं साथ हीवनों का उच्च औषधीय महत्व भी है। भारत में, केवल 15 प्रतिशत औषधीय पौधों की खेती की जाती है बाकी 85 प्रतिशत वनों और अन्य natural habitats से एकत्र किए जाते हैं।

प्रिय अधिकारियों

भारत, वन में रहने वाले समुदायों के अधिकारों पर विशेष ध्यान दे रहा है। जनजातीय समुदायों सहित वनवासियों के वनों के साथ सहजीवी संबंध को व्यापक रूप से स्वीकार किया जाताहै और इसे हमारे विकास विकल्पों में शामिल किया गया है।

यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप इन समुदायों को, जैव-विविधता की सुरक्षा और संरक्षण के प्रति उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक करें। बड़े और छोटे उत्पाद के लिए effective participatory management और more efficient market systems तक बेहतर पहुंच मुहैया कराने के लिए व्यापक सुधार पहले ही चल रहे हैं।

प्रिय अधिकारियों

इन दिनों हम भारत और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जंगल में आग लगने की कई घटनाओं के बारे में सुनते हैं। हमारे सामने न केवल वनों के संरक्षण की बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने की भी बड़ी चुनौती है। आज हमारे पास शहरी वानिकी, वन जोखिम शमन, डेटा संचालित वन प्रबंधन और क्लाइमेट-स्मार्ट वन आर्थिकीकी नई तकनीकें और अवधारणाएं उपलब्ध हैं।

आपको भारत के वन संसाधनों के सतत प्रबंधन के लिए नवाचार के माध्यम से नए तरीके खोजने चाहिए। आपको हमारे वनों पर नकारात्मक आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव डालने वाली अवैध गतिविधियों से वनों को बचाने में प्रभावी भूमिका निभानी चाहिए।

प्रिय अधिकारियों

एक बेहद दिलचस्प पहलू है कि वन विश्व के महानतम कवियों के प्रेरणा स्रोत रहे हैं। अतः वनो का साहित्यिक योगदान भी है !! ये कंक्रीट के जंगलों के शोर से हटकर घने वनो के प्राकृतिक सौंदर्य और पत्तियों की सरसराहट, पक्षियों के गीतों और झरने के बहते पानी की सुखद आवाज़ द्वारा राहत प्रदान करते हैं। हमारे महान संतों को भी घने वनो के गहन सन्नाटे में आत्मज्ञान घटा है।

मुझे कहना ही होगा कि आप बहुत भाग्यशाली हैं कि आपको हमारी वन संपदा औरइस पर निर्भर मानव और वन्यजीव प्रजातियों की देखभाल करने का अवसर प्राप्त हुआ है। वन, देश के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास के लिए आवश्यक हैं। हमें अपने वनों को स्वच्छ और स्वस्थ रखना चाहिए। विकास जरूरी है किन्तु संपोषणीयता भी उतनी ही जरूरी है।

युवा अधिकारियों

मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि अब अधिक से अधिक महिलाएं वन सेवा मेंआ रही हैं। 'ग्रीन क्वीन्स' कही जाने वाली महिला अधिकारियों ने स्वयं को शारीरिक ताकत की आवश्यकता वाले क्षेत्र में स्वयं को स्थापित किया है और वे सम्पूर्ण देश की युवा महिलाओं को वन अधिकारी बनने के लिए प्रेरणा देती हैं।

हमारे वन अधिकारी प्रकृति के रक्षक और संरक्षक के तौर परबहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं। लेकिन बदलते परिवेश और विकास परिदृश्य के कारण आपकी भूमिका और आपसे अपेक्षाएं बढ़ी हैं। मुझे विश्वास है कि आप बढ़ती अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे।

प्रकृति ने हमें भरपूर उपहारों से नवाजा है और यह हम सबका कर्तव्य है कि हम पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और जिम्मेदार बनें। हमें आने वाली पीढ़ियों को ऐसा सुंदर देश देना है जहां संरक्षित प्राकृतिक संसाधन हों और sustainable ecosystems हों।

मैं, आपके उज्ज्वल भविष्य और सफल करियर के लिए शुभकामनाएं देती हूं।

धन्यवाद,  
जय हिन्द!

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