भारत की माननीया राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय पुलिस सेवा के 74वें बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों के साथ बातचीत के अवसर पर सम्बोधन
हैदराबाद : 27.12.2022
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मैं, सभी प्रशिक्षु अधिकारियों को हार्दिक बधाई देती हूं। आप सभी अपनी योग्यता के लिए प्रशंसा के पात्र हैं, आपकी योग्यता बहुत सम्मानित सेवा में शामिल होने से सिद्ध होती है।
मैं सरदार वल्लभ भाई पटेल, जिसका जिक्र ही हर भारतीय को प्रेरित करता है, के नाम पर बनी राष्ट्रीय पुलिस अकादमी की इस यात्रा की अपनी यादों को संजो कर रखूंगी। आजादी के लगभग बारह साल बाद, डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने लिखा था, जिसे मैं उद्धृत करती हूं, "आज हम जिस भारत के बारे में सोचते और बात करते हैं, वह काफी हद तक सरदार पटेल की स्टेट्स मैनशिपऔर दृढ़ प्रशासन के कारण बना है।" मैं इस अवसर पर सभी साथी नागरिकों की ओर से 'भारत के लौह पुरुष' के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करती हूं। यह अकादमी भी उनकी दूरदर्शिता का परिणाम है। मुझे यह जानकर खुशी है कि आपकी अकादमी का गीत इस भावना को व्यक्त करता है:
लोहे जैसी हिम्मत है
लोहे सा जज्बा अपना
आंखों में लिए चलते हैं हम
लौह-पुरुष का सपना।
यदि आप सरदार पटेल के सपनों को पूरा करने के लिए अडिग रहते हैं, तो यह निश्चित रूप से देश और इसके लोगों के लिए बहुत बड़ा योगदान होगा। मुझे लगता है, आप जैसे युवा अफसरों को सरदार पटेल का एक मशहूर बयान याद दिलाना जरूरी है। नए स्वतंत्र भारत के अधिकारियों से अपील करते हुए, उन्होंने कहा था, जिसे मैं उद्धृत करती हूं, "आपके पूर्ववर्तियों का पालन-पोषण उन परंपराओं में हुआ था जिनमें उन्होंने खुद को आम लोगों की दौड़ से अलग रखा था। आपका यह कर्तव्य होगा की आप भारत में आम लोगों के साथ ऐसे पेश आएँ जैसे वे आपके अपने हैं।
देवियो और सज्जनों,
यह अकादमी कई दशकों से भारतीय पुलिस के लिए अधिकारियों को तैयार करके महान योगदान दे रही है। जब देश 'आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहा है और राष्ट्र दुनिया के सबसे बड़े और सबसे जीवंत लोकतंत्र को बनाए रखने और इसे मजबूत करने में हमारे पुलिस बल के बहुमूल्य योगदान को स्वीकार करता है।
सरदार पटेल द्वारा संकल्पित भारत की एकता को बनाए रखने में भारतीय पुलिस ने भी अपना बहुत बड़ा योगदान दिया है। भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए हजारों बहादुर पुलिस कर्मियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। उनके नाम नई दिल्ली में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक में 'द वॉल ऑफ वेलोर' पर खुदे हुए हैं। मैं भारत-माता की उन वीर संतानों का अभिवादन करती हूं।
इस परिसर में शहीद स्तंभ पर वीरों के प्रति सम्मान प्रकट करना मेरे लिए बहुत ही मार्मिक अनुभव था। मैं एक बार फिर उन आई. पी. एस. अधिकारियों को नमन करती हूं जिन अधिकारियों ने कर्तव्य की वेदी पर अपने प्राणों की आहुति दी।
प्रिय आई.पी.एस.प्रोबेशनर्स,
औपनिवेशिक अतीत और सामंती आदतों का बोझ अभी भी हमारे देश में आचरणऔर शासन के कई पहलुओं को प्रभावित करता है। इसीलिए, गुलामी कीमानसिकता रखने वालों की मुक्तिको राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में से एक के रूप में पहचाना गया है। हमें यह हमेशा याद रखना चाहिए कि औपनिवेशिक शक्तियों ने अपने-अपने देशों में नागरिकों की सहमति और भागीदारी के आधार पर पुलिस-व्यवस्था विकसित की। लेकिन उन्होंने भारत जैसे उपनिवेशों में नागरिकों में भय फैलाने के आधार पर पुलिस-व्यवस्था को बढ़ावा दिया।
पुलिस सरकार का सबसे प्रकट हिस्सा है। जब पुलिस बल लोगों का भरोसा जीतता है, तो यह सरकार की साफ छवि को और बढ़ाता है। पुलिस बल सम्मान और विश्वास तभी जीत पाएगा जब उसके नीचे का पूरा बल, अंतिम छोर पर सिपाही तक, सतर्कता, संवेदनशीलता और ईमानदारी दिखाएगा।
प्रिय आई.पी.एस.प्रोबेशनर्स,
अपने करियर की शुरुआत से ही आप नेतृत्वकारी पदों पर रहेंगे। आपके नेतृत्व की गुणवत्ता, नेतृत्व किए जा रहे बल की प्रभावशीलता और मनोबल को निर्धारित करेगी। यह अनगिनत जिंदगियों को भी प्रभावित करेगा।
अपने बल के अग्रणी अधिकारियों के रूप में, आपको इन पांच मूलभूत गुणों को ध्यान में रखना होगा और कार्रवाई में लाना होगा:
ईमानदारी,
निष्पक्षता,
साहस,
क्षमता और
संवेदनशीलता।
अपराध का पता लगाना और उसकी रोकथाम करना तथा कानून के शासन को बनाए रखने की जिम्मेदारी अधिक जटिल होती जा रही है। आतंकवाद, विद्रोह, उग्रवाद, विचारधारा से प्रेरित हिंसक उग्रवाद, सांप्रदायिक हिंसा, संगठित अपराध के बड़े नेटवर्क और आंतरिक सुरक्षा के अन्य खतरों से निपटने के लिए उच्च स्तर की प्रेरणा, कौशल और दृढ़ता की आवश्यकता होती है। साइबर-अपराध और सोशल मीडिया से जुड़े मुद्दे नई चुनौतियाँ पेश करते हैं। हाई-टेक अपराधों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी-संचालित पुलिस-व्यवस्था की आवश्यकता है।
पुलिस बलों को देश की प्रगति और समाज के परिवर्तन में भागीदार बनना होगा। आप जैसे पुलिस अधिकारी को सतत विकास, विशेष रूप से समावेशन को सुनिश्चित करते हुए भारत द्वारा अधिक समृद्धि करने में परिवर्तन-लाने वालों की भूमिका निभानी है। समावेशन से मेरा तात्पर्य उस अंतिम व्यक्ति को भी शामिल करना है जो वंचितऔर सबसे कमजोर व्यक्ति है। वह व्यक्ति आपकी सरोकारों के केंद्र में होना चाहिए। आपको बेजुबानों की दुर्दशा के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि देश के किसी सुदूर कोने में रहने वाले एक अनपढ़ गरीब व्यक्ति को स्थानीय पुलिस चौकी पर सहानुभूतिपूर्ण सहयोग मिले।
प्रिय आई.पी.एस.प्रोबेशनर्स,
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने लिखा था, जिसे मैं उद्धृत करती हूं "मेरा जीवन एक खुली किताब रहा है। मेरे पास कोई रहस्य नहीं है और मैं किसी रहस्य को बढ़ावा नहीं देता।" पुलिस अधिकारियों द्वारा दिखाई गई पारदर्शिता और मित्रता की लोगों में बातें होती हैं। कहा जाता है कि किसी व्यक्ति का वास्तविक मूल्य इस बात से निर्धारित होता है कि जब कोई उसे नहीं देख रहा होता है तब वह क्या करता है। मैं, इससे आगे यह कहना चाहूंगी कि, आप जो भी बड़ा या छोटा कार्य करते हैं, उसका सभी को पता चल जाएगा। मानकर चलें कि आप एक कांच के घर में रह रहे हैं तथा अपने जीवन को एक खुली किताब की तरह रहने दें। अपने जीवन की किताब को करुणा की अपनी कहानियों, वंचितों की मदद करने, जनता का प्यार और समर्थन प्राप्त करने की कहानियों से भरने की कोशिश करें और दृढ़ और निर्णायक बने रहें। पुलिस के नाम से ही अपराधियों को डर से कांप जाना चाहिए, लेकिन साथ ही आम नागरिक पुलिस को मित्र और रक्षक के रूप में देख सके।
यदि आपकी टीम अपने कर्तव्यों का अच्छी तरह से निर्वहन करती है, तो सभी भागीदारों की स्वीकृति और विश्वास आपके वास्तविक प्रयासों के स्वाभाविक परिणामों के रूप में सामने आएगा। कभी-कभी, आपको चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, यहाँ तक कि अनुचित विरोधियों का भी का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाती हूं कि अंत में सत्य की ही जीत होती है, 'सत्यमेव जयते'। मैं आपसे, सही चेतना के साथ अपने करियर की चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढ़ने की अपील करती हूं और मैं, आपके शानदार भविष्य के लिए आशीर्वाद देती हूं।
प्रिय आई.पी.एस.प्रोबेशनर्स,
हमारी घोषित राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप, नारी शक्ति को 'अमृत काल' के दौरान अपने लिए निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में एक प्रमुख भूमिका निभानी है। सही मायने में 'आत्मनिर्भर भारत' अनिवार्य रूप से 'आत्मनिर्भर नारी' पर टिका है। यह बहुत सही कहा गया है कि जब हमएक महिला पर ध्यान देते हैं, तो महिला हर किसी पार ध्यान देती है। मुझे, यह जानकर खुशी है कि महिलाएं हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अधिक भागीदारी कर रही हैं। महिला मतदाताओं की बढ़ती हिस्सेदारी हाल के दिनों में भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक रही है। हमें, जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं की नेतृत्व क्षमता को बड़ा और मजबूत बनाना होगा।
महिलाओं की अधिक भागीदारी से बेहतर समग्र विकास होता है। मुझे बताया गया है कि स्कैंडिनेवियाई देशों में पुलिस बल में महिलाओं की संख्या लगभग तीस प्रतिशत है। यह बताने लायक तथ्य है कि स्कैंडिनेवियाई देश, जहां पुलिस में महिलाओं का सबसे बड़ा औसत प्रतिनिधित्व है, वे मानव विकास सूचकांकों के मामले में शीर्ष रैंकिंग वाले देशों में भी शामिल हैं। हमें महिला सशक्तिकरण के चरण से आगे बढ़कर तेजी से महिला नेतृत्व के विकास चरण में जाना चाहिए। यह पहले से ही कई क्षेत्रों में हो रहा है। अब यह बहुत तेजी से होना चाहिए।
मुझे इस बात पर जोर देना चाहिए कि यहां बैठी महिला पुलिस अधिकारियों की तरह नेतृत्व के पदों पर मौजूद महिलाओं को हमेशा अन्य महिलाओं, विशेषकर कमजोर वर्ग की महिलाओं की मदद करनी चाहिए। वास्तव में, यदि हर महिला कमजोर महिला के लिए खड़ी हो जाए तो समाज में बड़ा बदलाव आ जाएगा।।
मुझे यह जानकर खुशी है कि आपके प्रशिक्षण मॉड्यूल में gender related जानकारी को शामिल किया गया है। मुझे यह जानकर बेहद खुशी हुई कि आईपीएस के पिछले तीन लगातार बैचों में महिला प्रशिक्षु अधिकारियों को सर्वश्रेष्ठ प्रोबेशनर्स घोषित किया गया है।
प्रिय आई.पी.एस.प्रोबेशनर्स,
महिलाओं के खिलाफ अपराध हमारे समाज पर एक धब्बा है। आइए, हम सभी आमूल-चूल परिवर्तन लाने का संकल्प लें। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि देर रात अकेले यात्रा करने वाली लड़की सुरक्षित महसूस करे। सभी को यह सुनिश्चित करना होगा कि नागरिक, जैसा की हमारे संविधान में वर्णन किया गया है, महिलाओं की गरिमा में अपमानजनक प्रथाओं का त्याग करने के मौलिक कर्तव्य का पालन करें।
मैं, आप सभी के उज्जवल भविष्य की कामना करती हूँ।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!