राष्ट्रपति संपदा में वाई-फाई सुविधा आरंभ किए जाने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति का अभिभाषण
राष्ट्रपति भवन ऑडिटोरियम, नई दिल्ली : 22.05.2015
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1.मुझे, वाई-फाई सेवा के शुभारंभ के इस महत्वपूर्ण अवसर पर राष्ट्रपति संपदा के आवासियों के बीच उपस्थित होकर प्रसन्नता हो रही है। सर्वप्रथम, मैं इस विशिष्ट परियोजना की संकल्पना और कार्यान्वयन के लिए श्रीमती ओमिता पॉल के नेतृत्व में राष्ट्रपति सचिवालय की टीम तथा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र की टीम को भी बधाई देता हूं।
2.सूचना ताकत है। परंतु दुर्भाग्यवश, आज तक सामाजिक-आर्थिक ढांचे के निचले पायदान के लोगों की सूचना तक पहुंच या तो उपलब्ध नहीं हो पाई है या बहुत ही सीमित रही है। इस अंतर ने समाज में संपन्न और विपन्न वर्ग पैदा कर दिए हैं तथा यह सामाजिक असमानता में परिणत हो गई है। सूचना के इस अंतर को पाटे बिना ऐसी असमानता बनी रहेगी। वास्तव में आधुनिक संचार प्रणाली का धन्यवाद, जिससे सूचना तक पहुंच में यह असंतुलन धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है।
3. सरकार आम जनता के लाभ के लिए अनेक कार्यक्रम शुरू करती है। निर्धनता और अन्य सामाजिक-आर्थिक बुराइयों को खत्म करने के लक्ष्य वाली नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों को बनाने में बहुत धन और प्रयास लगता है। परंतु फिर भी एक प्रभावी संचार कार्यनीति के अभाव में अथवा अपर्याप्त उपलब्धता के कारण अपेक्षित लाभार्थियों का एक बड़ा वर्ग उन अनेक लाभों से अनभिज्ञ रहता है जिसका वह हकदार है। कई बार, देश के विभिन्न हिस्सों में आम जनता तक सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों की पहुंच सुनिश्चित करना कठिन हो जाता है। इस संदर्भ में, नेटवर्क के माध्यम से नागरिकों के घर तक सूचना पहुंचाने का विचार भारत को डिजीटल भारत में तब्दील करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।
देवियो और सज्जनो,
4. प्रौद्योगिकी में, अत्यधिक सुविधा और भौतिक समृद्धि लाते हुए लोगों के जीवन को बदलने की स्वाभाविक क्षमता है। अपेक्षाकृत पिछड़े देशों में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं और वे मात्र एक या दो पीढ़ियों के दौरान उभरती हुई अर्थव्यवस्था बन गए; यह सब अधिकाधिक प्रौद्योगिकीय अनुप्रयोग के प्रभाव के कारण हो पाया। प्रौद्योगिकी प्रधान आर्थिक विकास से रूपांतरकारी बदलाव संभव हो पाए हैं।
5. आमतौर पर, प्रौद्योगिकी को विज्ञान से प्राप्त ज्ञान का एक तार्किक विस्तार माना जाता है। परंतु मेरे विचार से, यह विज्ञान के अनुप्रयोग से कहीं ज्यादा है। प्रौद्योगिकी प्रासंगिक होती है। प्रौद्योगिकी का एक आर्थिक मूल्य होता है। विगत दो दशकों के दौरान, हमने मोबाइल टेलिफोनी और इंटरनेट द्वारा उत्पन्न आधारभूत परिवर्तन देखे हैं। भारत ने भी इन दो मौलिक नवान्वेषणों से पैदा हुई सामाजिक-आर्थिक हलचल को अनुभव किया है। वर्तमान में, 960 मिलियन मोबाइल फोनों के साथ चीन के बाद भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है और शीघ्र ही यहां एक बिलियन मोबाइल फोन होने की उम्मीद है। हमारे यहां प्रति 100नागरिकों पर 77 से ज्यादा मोबाइल फोन हैं जो मोबाइल टेलिफोनी में हमारे द्वारा हासिल उपलब्धता के मामले में सराहनीय है। प्रौद्योगिकी का एक अन्य चमत्कार - इंटरनेट-विश्वभर में सूचना और संचार का एक प्रमुख स्रोत है। भारत, इंटरनेट प्रयोक्ताओं की संख्या के मामले में चीन और संयुक्त राज्य अमरीका के बाद 244 मिलियन प्रयोक्ताओं के साथ तीसरे स्थान पर है। तथापि, जनसंख्या के लिहाज से इंटरनेट उपलब्धि केवल बीस प्रतिशत है जिससे न केवल एक बड़े अंतराल की मौजूदगी का बल्कि भावी वृद्धि की उल्लेखनीय संभावना का भी संकेत मिलता है।
देवियो और सज्जनो,
6.इंटरनेट संपर्क का एक शक्तिशाली माध्यम है जिसके द्वारा सूचना और सेवाओं तक पहुंच के जरिए सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन लाया जा सकता है। प्रतिस्पर्धा और स्मृद्धि की वृद्धि में सूचना और प्रौद्योगिकी की प्रोत्साहन क्षमता इस बात की महत्वपूर्ण संकेतक मानी जाती है कि हम, जनता के लिए समाज के लिए प्रौद्योगिकी का प्रयोग कितने प्रभावी ढंग से कर सकते हैं। विश्व आर्थिक मंच द्वारा जारी विश्व सूचना प्रौद्योगिकी रिपोर्ट 2015 के अनुसार, भारत नेटवर्क उपलब्धता सूचकांक में 89वें स्थान पर है। सिंगापुर,फिनलैंड और स्वीडन जैसे देश इस सूचकांक में सबसे आगे हैं। देश भर में इंटरनेट तथा सूचना और संचार प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओं के बुनियादी ढांचे की उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा इसके व्यवस्थित ढंग से प्रयोग के लिए हमें अभी कुछ और दूरी तय करनी है। इस प्रयास में एक प्रमुख कदम वाईफाई सेवाओं को पूरे देश, शहरी और ग्रामीण, भारत के सार्वजनिक स्थानों पर आरंभ करना हो सकता है।
7.मुझे प्रसन्नता है कि राष्ट्रपति संपदा में, जिसकी आबादी लगभग पांच हजार है, हमने इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया है। अब प्रत्येक आवासी की पहुंच वाईफाई नेटवर्क तक होने से उन्हें सूचना और आंकड़े हासिल करने में आसानी होगी तथा वे वास्तव में बाहरी दुनिया से जुड़ जाएंगे। मुझे उम्मीद है कि यह सार्वजनिक आंकड़ों तथा सेवाओं की जानकारी प्राप्त करने के मामले में भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में महत्वपपूर्ण कदम होगा।
8.अंत में मैं, सचिवालय से आवासियों और कामकाजी लोगों के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की ताकत का और अधिक उपयोग करने तथा इसे अन्य सरकारी उपनगरों के लिए एक मॉडल बनाने का आग्रह करता हूं।
धन्यवाद!
जयहिन्द।