राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क प्रयोग करते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘‘युवा और राष्ट्रनिर्माण’’ विषय पर उच्चतम शिक्षण संस्थानों तथा सिविल सेवा अकादमियों को भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष, राष्ट्रपति भवन : 19.01.2016

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spकेंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियो,

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानो,राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानो,भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थानो तथा उच्च शिक्षा संस्थानो और सिविल सेवा अकादमियो के निदेशको,

संकाय सदस्यो,

मेरे प्रिय विद्यार्थियो,

1. मैं आप सभी को अत्यंत खुशहाल और समृद्ध नववर्ष की शुभकामनाएं देता हूं, 2016आप में से प्रत्येक के लिए उपलब्धियों और संतुष्टि का वर्ष बने।

मित्रो,

2. भारत एक बड़ी आबादी वाला राष्ट्र है। हमारे देश के छह सौ मिलियन लोग25 वर्ष से कम आयु के हैं। राष्ट्रीय युवा नीति युवाओं को ऐसे व्यक्तियों के रूप में परिभाषित करती है जो15 से 29वर्ष की आयु समूह के हैं। हालांकि मैं यहां कोई तकनीकी परिभाषा नहीं दे रहा हूं। मेरे लिए युवा केवल आयु से कहीं अधिक हैं। मैं उन पर भरोसा करता हूं जो जिज्ञासु हैं और सीखने के लिए उत्सुक हैं;जो अधीर और साहसी हैं; जिनमें असीम ऊर्जा और उत्साह है;जो परिवर्तन के स्थायित्व को स्वीकार करते हैं और मौजूदा स्थिति पर प्रश्न करने के लिए तत्पर रहते हैं,और जिनमें तीव्र विकास के लिए परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकियों का निर्माण और प्रयोग करने की क्षमता है।

3. युवाओं को राष्ट्र निर्माण के लिए तैयार करने के लिए,उन्हें शिक्षित बनाने में, उनकी मानसिक क्षमताओं, तकनीकी कौशल,पेशेवर योग्यता को निखारने में तथा सामाजिक दायित्व के प्रति जागरूकता बढ़ाने में निवेश महत्वपूर्ण है। अपने युवाओं को आत्मविश्वासी,सक्षम और समर्पित नागरिक बनाने के तरीके से हमारे राष्ट्र का भविष्य तय होगा। इसलिए आज मैंने आपसे अपने प्रिय विषय‘युवा और ‘राष्ट्र निर्माण’पर बोलना पसंद किया है।

मित्रो,

4. जब हम राष्ट्र निर्माण के बारे में चर्चा करते हैं,तो हमें यह सोचना होगा कि हम किस प्रकार के राष्ट्र का निर्माण करना चाहते हैं?इसके लिए कोई बेतरतीब रूपरेखा नहीं है बल्कि राष्ट्र जनों के मूल्यों,आशाओं और आकांक्षाओं पर आधारित एक विशाल अभिकल्पना हो सकती है।26 जनवरी, 1950को हमने स्वयं को भारत का संविधान सौंपते हुए एक सुदृढ़ नींव रखी। यह एक समावेशी और आधुनिक भारत के निर्माण के लिए सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का महाधिकारपत्र था। हमने इस संप्रभु राष्ट्र के सभी नागरिकों को न्याय,स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व प्रदान करने का स्वयं को वचन दिया है। लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पंथनिरपेक्षता,लैंगिक समानता और सामाजिक आर्थिक समानता हमारी भावी यात्रा के प्रकाशस्तंभ बन गए।

मित्रो,

5. अपने आसपास हुए परिवर्तन पर गौर करने के लिए मैं कुछ कहना चाहता हूं। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी से हम भिन्न रूप से विचार,कार्य और प्रतिक्रिया करने लगे हैं। दूरियां सिमट गई हैं,गतिशीलता बढ़ गई है,तीव्र संचार ने अधिक जागरूकता पैदा कर दी है तथा अपेक्षाएं बढ़ा दी हैं। उपभोक्तावाद अपने चरम पर है। चिकित्सा विज्ञान ने जीवन प्रत्याशा बढ़ा दी है तथा बेहतर स्वास्थ्य देखभाल ने जीवन की गुणवत्ता सुधार दी है। मनुष्य और प्रणालियों की ढालने की क्षमता पर दबाव डालते हुए क्रांतिकारी प्रौद्योगिकियां अपवाद की बजाए नियम बन गई हैं।

6. युवाओं को इस माहौल में राष्ट्रनिर्माण का दायित्व उठाना होगा। उन्हें शिक्षा और प्रशिक्षण के द्वारा इसके लिए तैयार होना चाहिए। हमारे युवाओं को दी जाने वाली शिक्षा के तीन स्पष्ट रूप से निर्धारित लक्ष्य होने चाहिए। पहला, उन्हें अपने जीवन पर नियंत्रण करना सिखना होगा जो चरित्र निर्माण,स्वास्थ्य देखभाल तथा सीखने की योग्यता को निखार कर तथा लक्ष्य प्राप्ति के लिए अनुभव प्रयोग करके किया जा सकता है। दूसरा, इतिहास,विज्ञान, धर्म और दर्शन के अध्ययन के माध्यम से जीवन को समझाना सिखाना होगा और तीसरा,उन्हें मैत्री और संबंध, प्रकृति के अवलोकन तथा कला और साहित्य के अध्ययन के जरिए अपने जीवन में आनंद प्राप्त करना सिखाना होगा। हमारी शिक्षा प्रणाली द्वारा इसी तर्ज पर युवाओं को तैयार करना होगा।

मित्रो,

हमें अपने युवाओं को मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान करनी होगी। हमें युवाओं में लोकतांत्रिक आचरण की भावना पैदा करनी चाहिए जिसके लिए हमारे राष्ट्र की समृद्ध विविधता का सम्मान,विचारों का समावेशन तथा भिन्न और प्रतिकूल विचारों के समायोजन की आवश्यकता है। पंथनिरपेक्षता का विचार हमारे राष्ट्र की गहरी चेतना में गहराई में बसा हुआ है। एक सौहार्दपूर्ण समाज के निर्माण के लिए युवाओं के मन में इसे और प्रबल बनाना होगा।

7. समावेशी समाज बनाने के लिए लैंगिक समानता आवश्यक है। यदि राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में समान शर्तों और बराबर संख्या में महिलाओं की भागीदारी नहीं होगी तो सभी प्रयास अधूरे रहेंगे। हाल के वर्षों में महिलाओं के विरुद्ध अत्याचार और हिंसा की कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को देखते हुए लोगों के मन से अनैतिकता और बुराई का कोई भी चिह्न मिटाने का हमारा संकल्प दृढ़ होना चाहिए। हमारे समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान को पवित्र माना गया है। जिसकी जड़ें हमारे संविधान में प्रतिबिंबित सभ्यतागत मूल्यों में रची-बसी हैं। महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना हमारे परिवारों और शिक्षा संस्थानों के बच्चों में पैदा करनी होगी। इससे व्यक्ति के सामाजिक आचरण को बचपन से दिशा दिखानी होगी।

मित्रो,

8. सामाजिक-आर्थिक समानता के बिना समावेशन शब्द का कोई अर्थ नहीं है। विगत कुछ वर्षों के दौरान हमने नागरिकों को विधिक गारंटी द्वारा समर्थित सूचना,रोजगार, शिक्षा और खाद्य का अधिकार प्रदान किया है। सरकार ने वित्तीय समावेशन,आदर्श गांवों के निर्माण तथा डिजीटल रूप से सशक्त समाज का सृजन करने के कार्यक्रम आरंभ किए हैं। हमारे पास समावेशन के लिए सुदृढ़ विधान और योजनाएं हैं। अब हमें उदीयमान भारत की अभिलाषाओं को पूरा करने के लिए उनके कार्यान्वयन के जरिए पर्याप्त अवसर पैदा करने होंगे।

मित्रो,

9. जिस राष्ट्र को नौकरशाह,तकनीकीविद्, वैज्ञानिक,शिक्षाविद्, सामाजिक नवान्वेषक,विचारक और कृषक के रूप में युवाओं को निर्मित करना है,वह ऐसा भारत होना चाहिए जो अपने सभी नागरिकों के लिए सम्मानजनक और संतुष्टिपूर्ण जीवन सुनिश्चित कर सके। इसे एक स्वच्छ भारत,स्वस्थ भारत, डिजीटल रूप से सशक्त भारत,शिक्षित और कुशल भारत तथा सहिष्णु,सौहार्दपूर्ण और शांतिपूर्ण भारत बनाना होगा जहां अंतिम व्यक्ति स्वयं को देश की गाथा का एक हिस्सा महसूस करे।

10. भारत को शिक्षा,कौशल विकास, स्वच्छता और स्वास्थ्य देखभाल,वित्तीय समावेशन तथा सेवा उपलब्धता के क्षेत्रों में चुनौतियों पर विजय प्राप्त करने के लिए नवीन विचार और सर्जनात्मक समाधानों की आवश्यकता है। आकार के अनुसार ढालने की क्षमता एक सफल नवान्वेषी विचार है। हम हर माह अपने दस लाख युवाओं को कुशल कैसे बना सकते हैं? हम उद्योग में प्रशिक्षित जनशक्ति लाभकारी रूप से कैसे लगा सकते हैं?हम प्रत्येक ग्रामीण परिवार में स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं कैसे प्रदान कर सकते हैं?हम कैसे गांवों और कस्बों के छोटे किसानों और उद्यमियों की वित्तीय आवश्यकताएं पूरी कर सकते हैं?हम जनोपयोगी सेवाओं को अधिक सुलभ कैसे बना सकते हैं?

11. इन प्रश्नों के उत्तर एक सुदृढ़ डिजीटल आधार के सृजन में निहित है जिससे कुशल सेवा सुपुर्दगी हो सकेगी। सुदूर गांवों में रह रहे किसी व्यक्ति के हाथ में मोबाइल देने तथा सूचना प्राप्त करने के लिए इसका इस्तेमाल सिखाने से ज्ञान और सेवाएं सशक्तीकरण का एक महान कार्य बन जाएंगी। यह समावेशन शब्द को सच्चा अर्थ प्रदान करेगा।

12. हमारे सपनों के भारत का निर्माण करने के लिए,सभी को मिलकर एक ऐसा माहौल पैदा करना होगा जहां नवान्वेषक,उद्यमी और वित्त प्रदाता एकजुट होंगे,जहां प्रतिभा का सम्मान होगा तथा विज्ञान,प्रौद्योगिकी और नवान्वेषण को प्रमुखता मिलेगी। सभी रचनात्मक ताकतों के खुलकर कार्य करने के लिए एक सुविधाकारी और सहयोगी वातावरण चाहे वह सरकार,कॉरपोरेटर क्षेत्र या शिक्षा जगत में हो,सृजित करना होगा।

13. सरकार ने स्टार्ट-अप को बढ़ावा तथा उद्यमशीलता को प्रोत्साहन देने तथा रोगजार वृद्धि के लिए‘स्टार्ट अप इंडिया’आरंभ किया है। 4500 से ज्यादा स्टार्ट अप ने भारत को दुनिया की तीसरी विशालतम स्टार्ट अप प्रणाली बना दिया है। उच्च शिक्षा संस्थानों की अपने विद्यार्थियों की उद्यमशील योग्यताओं को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका है। हमारी संस्थाओं में पाठ्यक्रम के रूप में उद्यमशील अध्ययनों का अध्यापन एक श्रेष्ठ शुरुआत होगी।

14. शैक्षिक और सिविल सेवा संस्थानों को,अपने विद्यार्थियों और प्रशिक्षुओं में सामाजिक दायित्व भावना पैदा करनी होगी। समुदाय के साथ उनका जुड़ाव बढ़ाने के लिए कुछ सुझाव यह हैं:

(i)प्रत्येक महीने कम से कम एक घंटे के लिए निकट के सरकारी स्कूलों में उन्हें पढ़ाने का कार्य देना

(ii)अपने आसपास के लोगों की दशा सुधारने के लिए समुदाय आधारित परियोजना पर कार्य करने के लिए उन्हें नियुक्त करना

(iii)उन्हें गांवों में मौजूद समस्याओं की पहचान का जिम्मा देना और स्थानीय तरीकों के साथ आधुनिक प्रौद्योगिकी को जोड़ने के नवान्वेषी समाधानों पर कार्य करना।

मेरे युवा मित्रो,

15. आने वाल कल आपका है। राष्ट्रीय लक्ष्यों के प्रति आपकी प्रतिबद्धता हमारे भावी विकास की दिशा निश्चित करेगी। आप अपने सपने पूरा करने की यात्रा शुरू करने के लिए तैयार हैं,मैं राष्ट्रनिर्माण की अपनी छोटी सूची आपको बताता हूं:

हम राष्ट्र निर्माण के लिए कार्य करते हैं,यदि,

- हम अपने उपभोग से अधिक उत्पादन करते है;

- हम ग्रहण करने से अधिक देते है;

- हम आराम से अधिक काम करते है;तथा

- हम बातचीत से अधिक चिंतन करते हैं।

आपको यह सूची उपयोगी लगेगी।


धन्यवाद।

जयहिन्द।

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