कैवलरी ऑफिसर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित कैवली स्मृति व्याख्यान के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
मानेक शॉ सेंटर, नई दिल्ली : 18.11.2015
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1. मुझे इस संध्या कैवलरी आफिसर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित कैवलरी स्मृति व्याख्यान देने के लिए यहां उपस्थित होने पर प्रसन्नता हुई है। भारतीय सशस्त्र कोर के सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारियों का यह संगठन,कोर के अलंकार विभूषित सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए वार्षिक रूप से इस व्याख्यान का आयोजन करता है।
2. मुझे1971के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में महा वीर चक्र के प्रथम प्राप्तकर्ता मेजर डी.एस. नारग के सम्मान में इस वर्ष व्याख्यान देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मैं इस अवसर पर,मेजर नारग और अन्य भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने युद्ध में अपना जीवन उत्सर्ग कर दिया। मेजर नारग ने गरीबपुर के युद्ध में राष्ट्र के प्रति अपना जीवन बलिदान कर दिया। इस स्मृति व्याख्यान में,मुझसे बांग्लादेश की स्थापना के बारे में अपने विचार प्रकट करने के लिए कहा गया है। मैं विस्तार से अपनी बात शुरू करता हूं।
देवियो और सज्जनो,
3. जैसा कि आप जानते हैं,विचार हमेशा आत्मपरक होते हैं, ऐसा ही इतिहास में भी है। 1971 में जो घटित हुआ,वह समसामयिक इतिहास में दर्ज है।
4. विश्व के लम्बे कूटनीतिक इतिहास में देशों के बीच अनेक उतार-चढ़ाव आते हैं। यूरोप दो विश्व युद्धों का रणक्षेत्र था। प्रमुख यूरोपीय शक्तियों ने सदियों तक एक दूसरे से युद्ध लड़े। यद्यपि पिछली शताब्दी के उत्तरार्ध में,उन्होंने इतिहास से सबक ग्रहण किया और मिलकर कार्य करने का निर्णय लिया। उन्होंने एक समान बाजार और एक जैसी मुद्रा अपनाई। उन्होंने यूरोपीय संघ और यूरोपीय संसद का निर्माण किया। विश्व को बदल देने वाला एक सबसे महत्त्वपूर्ण आविष्कार इंटरनेट,यूरोप में शांति लाभ का परिणाम है।
5. इसी प्रकार,क्षेत्रीय सहयोग और शांति और समृद्धि के लिए एकीकरण को गहन बनाने हेतु दक्षिण एशिया के सात राष्ट्रों ने एकजुट होकर बांग्लादेश की पहल पर8 दिसंबर, 1985को दक्षेस की स्थापना की थी। पिछले तीस वर्षों में,हमने यूरोपीय संघ की तर्ज पर अनेक व्यवस्थाएं और संस्थाएं बनाई हैं। यद्यपि यह व्यापक तौर पर माना जाता है कि अभी दक्षेस की पूरी क्षमता साकार होनी बाकी है। हम अपने मित्र बदल सकते हैं पर पड़ोसियों को नहीं। यह हमें निर्णय करना है कि हम निरंतर तनाव में जीना चाहते हैं या हमें मिलकर शांति और सौहार्द का वातावरण पैदा करना है। हमें विगत के मतभेदों को छोड़कर साझे भविष्य की ओर उन्मुख होना चाहिए।
6. भारत-बांग्लादेश सम्बंध साझे भविष्य की ओर उन्मुखता में प्रगति का उत्तम उदाहरण है। आज भारत-बांग्लादेश संबंध1974 के बाद सबसे बेहतर हैं। वे आपसी हित,समानता तथा संप्रभुता के सम्मान पर आधारित हैं। भारत बांग्लादेश के साथ द्विपक्षीय सहयोग को सर्वोच्च महत्त्व देता है। हमारा हमेशा से यह मानना है कि सुदृढ़,स्थिर और समृद्ध पड़ोस हमारे हित में है। भारत और बांग्लादेश केवल पड़ोसी नहीं हैं। हम दोनों राष्ट्र इतिहास,पंथ, संस्कृति,भाषा और अपनत्व के सूत्र में बंधे हैं। हमारा बढ़ता सहयोग पड़ोसियों के बीच साझी समृद्धि का प्रतिबिंब है। हमें अब बांग्लादेश के साथ एक नए भविष्य के निर्माण के लिए1971 के मुक्ति संग्राम की भावना को पुन: जाग्रत करने की जरूरत है।
7. बांग्लादेश ने हाल के समय में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में शानदार सफलता प्राप्त की है। बांग्लादेश आज निरंतर फल-फूल रहा लोकतंत्र है।1971में अन्नाभाव होने के बाद,यह अब खाद्यान्न में आत्मनिर्भर है। इसका खाद्यान्न उत्पादन लगभग34 मिलियन टन है। इसकी विकास दर पिछले15 वर्षों के दौरान 6प्रतिशत से अधिक रही है। बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार करीब24 बिलियन डॉलर है,जो दक्षिण एशिया में दूसरा सबसे अधिक है। बांग्लादेश महिला सशक्तीकरण,बाल स्वास्थ्य देखभाल, महिला स्वास्थ्य देखभाल और रोग प्रतिरक्षण में उल्लेखनीय उपलब्धियों के द्वारा सामाजिक क्रांति में अग्रणी है। भारत की तरह यह एक युवा राष्ट है जिसकी50 प्रतिशत से अधिक आबादी 24 वर्ष से कम है। हमारी तरह बांग्लादेश सूचना और संचार प्रौद्योगिकी तथा सेवा क्षेत्र का विकास करने पर ध्यान देता है।
8. दोनों देशों के बीच चिंता के मसलों का परस्पर समाधान कर लिया गया है। उदाहरण के लिए, 12दिसंबर, 1996 को गंगा के पानी के बंटवारे की व्यवस्था के लिए एक द्विपक्षीय संधि पर हस्ताक्षर किए गए। प्रधानमंत्री ने6-7, जून, 2015को बांग्लादेश की अत्यंत सफल यात्रा की थी। इस अवसर पर,भूमि सीमा समझौते सहित बड़ी संख्या में समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इस वर्ष बस्तियों के आदान-प्रदान पर समझौते से बांग्लादेश के साथ लम्बे समय से अटके भूमि सीमा मुद्दे पर अंतत: विराम लग गया है। हमने विगत वर्ष समुद्री सीमा भी तय कर दी।
9. भारत ने 25वस्तुओं को छोड़कर सभी वस्तुओं तक बांग्लादेश को सीमा शुल्क मुक्त और कोटा मुक्त पहुंच प्रदान की है। भारत-बांग्लादेश व्यापार के7 बिलियन अमरीकी डॉलर से ज्यादा होने से बांग्लादेश दक्षिण एशिया में हमारा दूसरा विशाल व्यापार साझीदार बन गया है। भारत से बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति,जो अक्तूबर 2013 में आरंभ हुई है,के दो वर्ष के भीतर 500 मेगावाट से बढ़कर1100मेगावाट होने की उम्मीद है।
मित्रो,
10. संपर्क,घनिष्ठ सम्बन्ध का उत्प्रेरक है। हमने तीन बस सेवाएं आरंभ की हैं जो हमारे नागरिकों को अधिक आसानी से जोड़ेंगी। सड़क,रेल, नदियों,समुद्र, पारेषण लाइनों,पेट्रोलियम पाइप लाइनों और डिजीटल संयोजन द्वारा सम्पर्क बढ़ाना चाहिए। बांग्लादेश,भूटान, भारत और नेपाल के बीच क्षेत्रीय संपर्क और सहयोग भी घनिष्ठ होना चाहिए। भारत के माध्यम से बांग्लादेश से नेपाल और भूटान को तथा बांग्लादेश के माध्यम से मुख्य भूमि भारत से भारत के उत्तर पूर्व को वस्तुओं की आवाजाही के लिए परस्पर लाभकारी व्यवस्थाओं की योजना बनाई गई है। ये महत्त्वपूर्ण कदम हैं जो हमारे दोनों देशों के वरिष्ठ नेताओं के घनिष्ठ सहयोग और निरंतर बातचीत से संभव हुए हैं।
11. भारत-बांग्लादेश सुरक्षा सहयोग में मानव तस्करी,नकली मुद्रा, समुद्री सहयोग तथा हमारे तटरक्षकों के बीच सहयोग में हाल में सम्पन्न तीन समझौतों से वृद्धि हुई है।
12. हम अवैध गतिविधियों,मानव तस्करी और आवाजाही की रोकथाम के लिए सीमा प्रबंधन और समन्वय बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं।
13. भारत अपने आर्थिक विकास में बांग्लादेश को साझीदार बनाने के प्रति पूर्णत: वचनबद्ध रहा है। हमारी दोनों जनता के बीच नियमित आदान-प्रदान और विस्तृत वार्ता हमारी परस्पर समझ और सद्भावना को बढ़ाने के लिए आवश्यक है।
14. हमें और अधिक आर्थिक एकीकरण की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। दक्षिण एशिया को एकीकृत बाजार बनना चाहिए। विश्व बाजारों के लिए एक अबाध संयोजन लाइन तथा क्षेत्रीय मूल्य शृंखला निर्मित की जानी चाहिए। भारतीय और बांग्लादेशी कारोबारी पहले ही बने-बनाए वस्त्रों, वस्त्र निर्माण,चमड़े और दवा निर्माण जैसे क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं। खाद्य प्रसंस्करण,इसके इंजीनियरी सामान, पोत निर्माण और ऑटो अवयवों में ऐसे सहयोग की विशाल संभावनाएं हैं।
15. बांग्लादेश में भारतीय निवेश से रोजगार पैदा होगा तथा प्रौद्योगिकी उन्नत होगी। इससे बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनेगी और निर्यात बढ़ेगा। इसी वजह से दोनों सरकारें बांग्लादेश में भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित करने के लिए सहमत हो गए हैं। यह हमारे कारोबारी समुदायों के बीच ऐतिहासिक सम्पर्क बहाल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है,जिससे दोनों को लाभ होगा।
16. बांग्लादेश और भारत को विशाल उपभोक्ताओं के रूप में सस्ती और उसे स्वच्छ ऊर्जा पैदा करने और इसे खरीदने के लिए एकजुट हो जाना चाहिए। सौर और पवन जैसी नवीकरणीय ऊर्जा पैदा करने के लिए विशाल अप्रयुक्त क्षमता मौजूद है।
17. हमारी अर्थव्यवस्थाओं के अधिक समेकित होने तथा हमारी जनता के बेहतर ढंग से जुड़ने से हमारे राष्ट्र और समृद्ध होंगे। इससे भारत के पूर्वोत्तर के लिए नए आर्थिक द्वार भी खुल जाएंगे। इससे हमारे दोनों देश दक्षिण एशिया के साथ एकीकृत हो जाएंगे तथा गतिशील पूरब से जुड़ जाएंगे।
मित्रो,
18. मुझे विश्वास है कि भारत-बांग्लादेश के संबंध सदैव दक्षिण एशियाई इतिहास के अध्यायों में विशेष और अनूठे रहेंगे। मैं एक बार पुन: मेजर डी.एस. नारग और अन्य सभी भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने1971के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में वीरता और बलिदान के माध्यम से स्वयं को विशिष्ट बना दिया।
19. मैं इस विश्व के एक सबसे असाधारण नेताओं में से एक बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उनके नेतृत्व और बलिदान ने बांग्लादेश को जन्म दिया। आज उनकी सुपुत्री प्रधानमंत्री शेख हसीना बांग्लादेश को महानता के उच्चतम शिखर पर ले जा रही हैं।
20. हमारे रिश्तों में तीव्र प्रगति आरंभ हो चुकी है। मुझे विश्वास है कि आने वाले दिनों में गरीबी उन्मूलन,विकास वृद्धि, व्यापार और निवेश प्रोत्साहन तथा आतंकवाद,उग्रवाद और कट्टरवाद की ताकतों से मुकाबले के लिए सहयोग में उल्लेखनीय तेजी आएगी।
21. मैं, यह स्मृति व्याख्यान देने और मेरे प्रिय विषय पर विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करने के लिए आपका धन्यवाद देता हूं। मैं आपके प्रयासों के शीघ्र सफल होने की कामना करता हूं।
धन्यवाद ,
जय हिंद!