भारतीय यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान के छठे स्थापना दिवस और तीसरे दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

नई दिल्ली : 14.01.2016

डाउनलोड : भाषण भारतीय यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान के छठे स्थापना दिवस और तीसरे दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 259.21 किलोबाइट)

sp1. मेरे लिए इस प्रख्यात संस्थान के छठे स्थापना दिवस और तीसरे दीक्षांत समारोह पर भी आपके बीच होना सचमुच बड़ी प्रसन्नता की बात है। यह संस्थान जनवरी, 2010में स्थापित हुआ था और अपने समर्पित दल के साथ अल्पावधि में इसने देश के अग्रणी संस्थाओं में अपना स्थान बनाया है।

2. भारतीय यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान दिल्ली सरकार द्वारा एक स्वायत्त,अतिविशिष्ट, चिकित्सीय और अनुसंधान संस्थान के रूप में गठित किया गया था जिसका उद्देश्य अग्रिम अनुसंधान के लिए एक सेंटर सहित निदान और उपचार के लिए व्यापक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करना था। यह उच्च कौशल प्राप्त और जटिल सर्जरी के सरकारी उपक्रम में एनएबीएच और एनएबीएल से मान्यता प्राप्त पहला स्वायत्त संस्थान है जो फ्रंटियर क्षेत्र में शिक्षा और अनुसंधान प्रदान करने के लिए यकृत और गुर्दा संबंधी प्रत्यारोपण सहित उच्च कौशल वाली और जटिल सर्जरी करता है।

3. यह संस्थान यकृत,पित्ताशय, पैन्क्रियाज और सह-रुग्णता के संबंधी अंगों की बीमारी सहित रोगियों को सर्वोत्तम चिकित्सीय देखभाल प्रदान करता है। शैक्षिक कौशल और निदान संबंधी कुशाग्रता के मेल-जोल से यह संस्थान स्वास्थ्य देखभाल के लिए एक आदर्श है।

4. यकृत मानव शरीर का एक प्रमुख अंग है। एक प्रकार से यह हमारी चयापचयी फैक्ट्री और मुख्य नियामक है क्योंकि जो कुछ भी हम खाते हैं,सर्वप्रथम वह आंतों में और फिर यकृत में जाता है। हमारे पेट में जीवाणु,इंद्रिय, हमारी जीवन प्रक्रिया को ठीक करते हैं इसलिए चिंता के विषय के रूप में आज यकृत की बिमारियां हृदय की बिमारियों से अधिक नहीं,तो उनके बराबर हैं। वे हमारे देश पर भारी बोझ हैं। परंतु दुख के साथ कहना पड़ता है कि इन बीमारियों के प्रति जन जागरुकता और संबंधित उपचार एवं अनुसंधान सुविधाएं अधिक नहीं हैं। हेपेटाइटिस,एल्कोहल का प्रयोग और मोटापा यकृत को सबसे अधिक नुकासन पहुंचाते हैं और कभी-कभी जिसे ठीक भी नहीं किया जा सकता। यकृत की बीमारी के कारण मरने वालों की संख्या और हमारे देश में यकृत प्रत्यारोपण की बढ़ती आवश्यकता हमारी आबादी में यकृत रोग की बढ़ती घटनाओं का पर्वू संकेत है।

5. भारतीय यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान ने छह वर्ष की अपनी अल्पावधि में सहनीय लागत पर अत्याधुनिक रोग देखभाल सेवाएं प्रदान करके लाखों लोगों में उम्मीद जगाई है जिसमें यकृत और पित्त रोग के क्षेत्र में अग्रिम और समर्पित अनुसंधान शामिल है। मुझे बताया गया है कि आईएलबीएस ने पिछले वर्ष 87,000से अधिक रोगियों का उपचार कार्यक्रम की सफलतापूर्वक स्थापना की है और आज तक शानदार सफलता के साथ283 यकृत प्रत्यारोपण और 85गुर्दा प्रत्यारोपण किए हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि यह संस्थान एक आदर्श रूप है और यह विश्व स्तर के समकक्ष विशिष्टता प्राप्त देखभाल में सर्वोत्तम नैदानिक प्रोटोकॉल और प्रचलनात्मक प्रणाली विकसित करता है।

6. मुझे प्रसन्नता है कि संस्थान ने अंगदान कार्यक्रम और जागरुकता अभियान संचालन में अग्रणी भूमिका निभाई है। जबकि इसने गुर्दा प्रत्यारोपण सेवाएं पहले से ही आरंभ की हैं,यह अंग बैंकिंग और राष्ट्रीय निर्दिष्ट और अग्रिम यकृत और पित्ताशय कैंसर सेंटर विकसित करने के लिए भी प्रयास कर रहा है। इस प्रकार की सुविधा देना अनिवार्य है कि यकृत कैंसर विश्व स्वास्थ्य संगठन के2014 में जारी आंकड़ों के अनुसार यकृत कैंसर विश्व में होने वाली कैंसर के सामान्य कारणों से मृत्यु में दूसरे स्थान पर है। यह जानना प्रसन्नता की बात है कि वाइरल हेपेटाइटिस और लीवर रोग पर विश्व स्वास्थ्य संगठन सहायक सेंटर के र्रूप में भारतीय यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान को पहले ही नामित किया गया है। संस्थान ने अपनी उपलब्धि को बढ़ाते हुए विश्व जठरांत विज्ञान संगठन (डब्ल्यूजीओ) में यकृत रोगों के लिए अपना द्वितीय प्रशिक्षित सेंटर स्थापित किया है। संस्थान ने अपने विशेष प्रकार का प्रथम पोस्ट-डॉक्टरल कोर्सेज का आरंभ करते हुए शैक्षिक क्षेत्र में काफी प्रगति की है। अभिलाषी एवं पात्र मेडिकल और अनुसंधान अध्येताओं के लिए पीएचडी पाठ्यक्रम और अल्पावधि प्रशिक्षण कार्यक्रम आरंभ करके संस्थान में फ्रंट लाइन अनुसंधान की प्रगति के लिए अपनी प्रतिबद्धता दर्शाई है। अभिलाषी गुर्दा संबंधी डॉक्टरों और नर्सिंग के छात्रों के लिए संस्थान में नवोन्वेषण पाठ्यक्रम जैसे कि नेफ्रोलॉजी और नर्सिंग आरंभ किए गए हैं।

8. यह संतोष का विषय है कि यह संस्थान अपना तीसरा दीक्षांत समारोह आज मना रहा है। यकृत रोगों के प्रमुख क्षेत्रों में बहुत से विशिष्टता प्राप्त को प्रशिक्षित करने के लिए आईएलबीएस की समस्त टीम बधाई की पात्र है। मुझे बताया गया है कि स्वर्गीय डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम और भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति आईएलबीएस के कुलाधिपति थे। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि भारत के लिए उनकी दूरदृष्टि और अभिलाषी छात्रों और संकाय के लिए उनके आशावाद की भावना हमेशा प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।

9. मैं निदेशक,डॉ. सलीम और उनकी टीम को दिल्ली सरकार के सपने को साकार करने और यकृत और पित्त विज्ञान के क्षेत्र में विश्वस्तर का संस्थान खड़ा करने के लिए बधाई देता हूं। मुझे विश्वास है कि देश में अच्छी लोक स्वास्थ्य सेवाओं को देने में यह संस्थान एक नये युग में परिवर्तित होगा।

10. मैं संस्थान को और आप सभी को आपके भावी प्रयास के लिए शुभकामनाएं देता हूं। मुझे विश्वास है कि आप भारत के झंडे को ऐसे ही खुले आसमान में फहराते रहेंगे और अपनी नैदानिक एवं शैक्षिक उपलब्धियों के लिए प्रत्येक भारतीय को गौरवान्वित महसूस कराते रहेंगे।


धन्यवाद।

> जयहिन्द।

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