अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली : 12.05.2013

डाउनलोड : भाषण अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण(हिन्दी, 140.25 किलोबाइट)

Speech By The President Of India, Shri Pranab Mukherjee At Presentation Of Florence Nightingale Awards On The International Nurse's Day

सबसे पहले मैं, ‘अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस’ पर हमारे देश के नर्सिंग समुदाय के सभी सदस्यों का अभिनंदन करता हूं और उनकी सराहना करता हूं।

राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार उन नर्सों द्वारा प्रदान की गई असाधारण सेवाओं को मान्यता देने का उपयुक्त माध्यम है जिन्होंने करुणा, धैर्य तथा साहस के साथ बीमार तथा कमजोरों की सेवा के लिए खुद को समर्पित किया है।

12 मई फ्लोरंस नाइटिंगेल की जन्मजयंती का अवसर है, जिन्होंने एक सदी से भी पहले नर्सों को प्रशिक्षित करने के लिए प्रथम संस्था की स्थापना की थी। आज नर्सिंग कौशल तथा पेशेवर ज्ञान के साथ एक आधुनिक चिकित्सा पेशे के रूप में विकसित हो चुका है। नर्सें हमारे स्वास्थ्य कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा हैं और वे स्वास्थ्य प्रणाली का मेरुदंड हैं। स्वास्थ्य देखभाल की उत्साही सेवादाता होने के साथ-साथ, वे अस्पताल-डॉक्टर-रोगी के बीच की धुरी हैं। चाहे वह निवारक देखभाल हो, घर पर सेवा हो अथवा अस्पताल में, नर्सें स्वास्थ्य देखभाल का अपरिहार्य अंग हैं।

आज, भारत में हमारे पास खुद, हमारे सभी राज्यों में, शहरों में और गांवों में खुद ऐसी फ्लोरेंस नाइटिंगेल हैं जिन्होंने अत्यंत अनुशासित तथा पेशेवर होने की ख्याति प्राप्त की है। उन्होंने नर्सिंग को एक आदर्श विशेषज्ञता में विकसित कर दिया तथा वे खुद सक्षमता तथा अद्वितीय समर्पण का पर्यायवाची बन गई हैं। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि पूरी दुनिया में उनकी प्रशंसा होती है और उनकी सेवाएं ली जाती हैं।

भारत सरकार ने, अपनी 12वीं पंचवर्षीय योजना में सभी के लिए स्वास्थ्य का लक्ष्य तय किया है। हमारी चिकित्सा अवसंरचना और इसकी पहुंच में वृद्धि के साथ ही नर्सिंग स्टाफ की मांग बढ़ेगी। इस मांग की पूर्ति मौजूदा संस्थानों की क्षमता बढ़ाकर तथा अधिक नर्सिंग स्कूलों को खोलकर की जा सकती है।

मैं समझता हूं कि इन्टरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेस ने इस वर्ष के लिए ‘क्लोजिंग द गैप’ विषय का चयन किया है। ऐसा करके उन्होंने मातृत्व स्वास्थ्य देखभाल में सुधार, बाल मृत्यु दर में कमी तथा एचआईवी/एड्स, मलेरिया तथा अन्य बीमारियों की रोकथाम से संबंधित सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित किया है।

हमारी सरकार द्वारा इन क्षेत्रों में कई सुव्यवस्थित स्कीमें चलाई जा रही हैं। अब नर्सों की सेवाओं का उपयोग अस्पताल तथा औषधालयों के उनके परंपरागत क्षेत्रों से हटकर, जन स्वास्थ्य सेवाओं में कारगर ढंग से करने का समय आ गया है। हमारी नर्सों के कौशल का उपयोग ऐसे ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए अच्छी तरह किया जा सकता है जहां चिकित्सक उपलब्ध नहीं हैं।

मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में, नर्सिंग के पेशे को और अधिक मान्यता मिलेगी और उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के लिए अधिक उत्तरदायित्व, क्षमताएं तथा बेहतर सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। मुझे यकीन है कि नर्सिंग पेशा भारत के ऐसे सक्षम और समर्पित युवक और युवतियों को आकर्षित करता रहेगा, जो बढ़-चढ़कर अपने समुदायों की सेवा करेंगे।

इन पुरस्कारों के विजेताओं को बधाई देते हुए मैं अपने देश के संपूर्ण नर्सिंग समुदाय को उनके समर्पण तथा देश की उनकी सेवा के लिए धन्यवाद देता हूं।

धन्यवाद, 
जय हिंद!

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