भारत की राष्ट्रपति सिम्बायोसिस इंटरनेशनल के 21वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं
राष्ट्रपति भवन : 03.09.2024
भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 3 सितंबर, 2024 को पुणे, महाराष्ट्र में सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (डीम्ड यूनिवर्सिटी) के 21वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं।
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आज वे इतने सक्षम बन गए हैं कि अपने व्यक्तित्व और ज्ञान से देश-विदेश में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। वे नवाचार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग के माध्यम से प्रबंधन, स्वास्थ्य देखभाल, कानून, सामाजिक विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में प्रभावी योगदान दे सकते हैं। उन्होंने उनसे देश के विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों की संस्कृति और उनकी आज की जरूरतों को समझने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस ज्ञान के आधार पर, वे सॉफ्टवेयर, हेल्थकेयर उत्पाद और मार्केटिंग रणनीतियां बनाएँ जो सभी के विकास में सहायक हों, विशेषकर वंचित वर्गों के विकास में सहायक हों और स्थिरता को भी बढ़ावा दें। उन्होंने कहा कि स्टार्ट-अप इंडिया, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसी पहल से भी उन्हें अपने लक्ष्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
यह देखते हुए कि सिम्बायोसिस इंटरनेशनल में पढ़ने वाले लगभग 33000 विद्यार्थियों में छात्रों और छात्राओं की संख्या लगभग समान है, राष्ट्रपति ने कहा कि नारी शक्ति का विकास न केवल देशवासियों के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह देश के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मापदंड भी है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि सिम्बायोसिस डीम्ड यूनिवर्सिटी में महिला-पुरुष समानता को प्राथमिकता दी जाती है और बेटियों की शिक्षा के लिए उचित वातावरण और सुविधाएं भी यहाँ उपलब्ध कराई जाती हैं। उन्होंने सभी शैक्षणिक संस्थानों से छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने हेतु कार्यक्रम चलाने और उनके लिए सुरक्षित और सहायक वातावरण तैयार करने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने चिकित्सा सेवाओं में सुधार की दिशा में उठाए गए कदम - 'सिम्बायोसिस आरोग्य धाम' की स्थापना की सराहना की। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि सिम्बायोसिस डीम्ड यूनिवर्सिटी द्वारा परिसर के आसपास के गांवों में मोबाइल पारिवारिक स्वास्थ्य क्लीनिक चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को नवीनतम तकनीक के ज्ञान के साथ-साथ मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान करना सभी शिक्षण संस्थानों का ध्येय होना चाहिए।
राष्ट्रपति ने सिम्बायोसिस विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों, संकाय सदस्यों और पूर्व छात्रों से शिक्षा प्रणाली में अनुसंधान को बढ़ावा देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि वर्षों के शोध से नए आविष्कार होते हैं और चुनौतियों का सामना करने के नए समाधान मिलते हैं। भारत के शोधार्थी केवल देश ही नहीं दुनिया की समस्याओं के हल खोज सकते हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी अनुसन्धान को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि विश्वविद्यालय में जल संसाधन प्रबंधन, स्टेम सेल, नैनो विज्ञान और जलवायु परिवर्तन सहित अनेक विषयों पर बहु-विषयक अनुसंधान केंद्र काम कर रहे हैं।
राष्ट्रपति ने छात्रों को हर कार्य में उत्कृष्टता प्राप्त करने की कोशिश करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहावत सुनी होगी - उत्कृष्ट बनो और सफलता पीछे-पीछे चली आएगी। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोग अधिक पैसा, बड़ा घर, बड़ी गाड़ी और अन्य वस्तुओं के होने को ही सफलता की निशानी मान लेते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वे सफलता के सही अर्थ को समझेंगे और ऐसे कार्य करेंगे जिनसे दूसरों का जीवन स्तर भी बेहतर होगा।