भारतीय विदेश सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों ने राष्ट्रपति से मुलाकात की
राष्ट्रपति भवन : 19.08.2024
भारतीय विदेश सेवा (2023 बैच) के प्रशिक्षु अधिकारियों ने आज 19 अगस्त, 2024 को राष्ट्रपति भवन में भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की।
अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विदेश नीति कोई अमूर्त कवायद अथवा अभिजात कार्य नहीं है। घरेलू नीतियों के विस्तार के रूप में बनाई गई नीतियों का उद्देश्य देश के राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा हितों और देश की अखंडता को सुरक्षित करना है। इसलिए, भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियों की यह जिम्मेदारी है कि वे न केवल देश हितों की सुरक्षा करें, बल्कि वर्ष 2047 तक 'विकसित भारत' के व्यापक रणनीतिक उद्देश्य को पूरा करने के लिए वैश्विक एजेंडे को भी आकार दें।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय विदेश सेवा अधिकारियों को याद रखना चाहिए कि वे सिर्फ भारत सरकार का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। वे 1.4 अरब भारतीयों और उनकी आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे भारत की विविध और बहुलवादी संस्कृति, देश की 5000 साल पुरानी समृद्ध सभ्यता का भी प्रतिनिधित्व करते हैं, और वे एक ऐसे समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो मूल रूप में एक अप्रत्याशित विश्व में अच्छाई और स्थिरता बनाए रखने की शक्ति रखता है। इस प्रकार हमारी बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि एक अच्छे राजनयिक को असाधारण रूप से कुशल होना चाहिए - उन्हें एक प्रभावी संप्रेषक और रणनीतिक विचारक होना चाहिए। साथ ही, उन्हें अपने तैनाती वाले देश के साथ-साथ भारत की भी गहरी राजनीतिक और सांस्कृतिक समझ होनी चाहिए। यह जानते हुए कि अधिकारी पहली पोस्टिंग के लिए विदेशी भाषा प्रशिक्षण के लिए विदेश जा रहे हैं, राष्ट्रपति ने उन्हें सलाह दी कि वे जितनी संभव हो उतनी अधिक भाषाएँ सीखें, और नई संस्कृतियों, लोगों और प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए तत्पर रहें। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कौशल और संवेदनाओं से वे एक प्रभावी और कुशल राजनयिक बन सकेंगे।