भारत की राष्ट्रपति ने सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की
राष्ट्रपति भवन : 31.10.2022
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (1 नवंबर, 2022) को उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में 7वें भारत जल सप्ताह का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि जल के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। भारतीय सभ्यता में जीवन में, और जीवन के बाद की यात्रा में भी, जल का महत्व है। इसलिए सभी जल स्रोतों को पवित्र माना जाता है। किन्तु वर्तमान स्थिति पर नजर डालें तो हालात चिंताजनक प्रतीत होते हैं। बढ़ती आबादी के कारण हमारी नदियों और जलाशयों की हालत क्षीण होती जा रही है, गांव के तालाब सूख रहे हैं और कई स्थानीय नदियां विलुप्त हो गई हैं। कृषि और उद्योगों में जल का दोहन जरूरत से ज्यादा हो रहा है। धरती पर पर्यावरण संतुलन बिगड़ने लगा है, मौसम का मिजाज बदल रहा है और बेमौसम अतिवृष्टि आम बात हो गयी है। इस तरह की परिस्थिति में पानी केप्रबंधन पर विचार-विमर्श करना बहुत ही सराहनीय कदम है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जल का मुद्दा भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रासंगिक हैं। जल का मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है क्योंकि उपलब्ध fresh water का बहुत बड़ा हिस्सा दो या अधिक देशों के बीच में फैला हुआ है । इसलिए, संयुक्त जल संसाधन एक ऐसा मुद्दा है जिसमें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि 7वें भारत जल सप्ताह में डेनमार्क, फिनलैंड, जर्मनी, इज़राइल और यूरोपीय संघ भाग ले रहे हैं। उन्होंने आशा जताई कि इस मंच पर विचारों और प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान से सभी को लाभ होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि पानी कृषि के लिए भी एक प्रमुख संसाधन है। एक अनुमान के अनुसार हमारे देश में जल संसाधन का करीब 80 प्रतिशत भाग कृषि कार्यो में उपयोग किया जाता है। अत: सिंचाई में जल का समुचित उपयोग और प्रबंधन, जल संरक्षण के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। वर्ष 2015 में शुरू की गई 'प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना' इस क्षेत्र में एक बड़ी पहल है। देश में सिंचित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए यह राष्ट्रव्यापी योजना लागू की जा रही है। जल संरक्षण लक्ष्यों के अनुरूप, यह योजना "प्रति बूंद अधिक फसल" सुनिश्चित करने के लिए सटीक-सिंचाई और पानी बचाने वाली प्रौद्योगिकियां अपनाने पर भी विचार किया गया है।
राष्ट्रपति ने कहा किआने वाले वर्षों में बढ़ती हुई जनसंख्या को स्वच्छ पेय जल उपलब्ध कराना बहुत बड़ी चुनौती होगी। पानी का मुद्दा बहुआयामी और जटिल है, जिसके समाधान के लिए सब हितधारकों के प्रयास की जरूरत है। हम सब जानते हैं कि जल सीमित है और इसका समुचित उपयोग और रिसाइक्लिंग ही इस संसाधन को लंबे समय तक बनाए रख सकता है। इसलिए हम सब का प्रयास होना चाहिए कि इस संसाधन का मितव्ययता के साथ उपभोग करें। उन्होंने जल के दुरुपयोग के प्रति खुद भी जागरूक रहनेऔर लोगों को भी जागरूक करने का आग्रह किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस 7वें जल सप्ताह के दौरान विचार मंथन से जो अमृत निकलेगा, वह इस पृथ्वी के और मानवता के कल्याण का रास्ता होगा। उन्होंने आम लोगों, किसानों, उद्योगपतियों और विशेषकर बच्चों से अपील की कि वे जल संरक्षण को अपने आचार-व्यवहार का हिस्सा बनाएं। उन्होंने कहा कि ऐसा करके ही हम आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर और सुरक्षित कल दे सकेंगे।