भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का एम्स, नई दिल्ली के दीक्षांत समारोह में संबोधन

नई दिल्ली : 21.03.2025

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आज अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के 49वें दीक्षांत समारोह में उपस्थित होकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। यह एक ऐसा संस्थान है जिसने स्वास्थ्य सेवा, चिकित्सा शिक्षा और जीव विज्ञान अनुसंधान में उत्कृष्टता हासिल करके दुनिया में अपनी प्रतिष्ठा अर्जित की है।

एम्स उन लाखों रोग-पीड़ितों के लिए आशा का केन्द्र है, जो अक्सर दूर-दराज के क्षेत्रों से उपचार के लिए आते हैं। इसके संकाय सदस्य पैरामेडिक्स और गैर-चिकित्सा कर्मचारियों की मदद से वंचितों और विशेष व्यक्तियों का समान निष्ठा और सहानुभूति से इलाज करते हैं। वास्तव में, मैं कहूंगी कि एम्स गीता के कर्म योग का जीता-जागता रूप है।

आज जब हम यहां शिक्षित प्रतिभाशालियों की उपलब्धियों का उत्सव मनाने के लिए एकत्र हुए हैं, तो मुझे न केवल राष्ट्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवा में एम्स की महत्वपूर्ण भूमिका का स्मरण आ रहा है। वास्तव में यह मेड-इन- इंडिया की सफलता की एक गौरवपूर्ण कहानी है और यह पूरे देश के लिए अनुकरणीय मॉडल है। अपने अस्तित्व के 69 वर्षों में एम्स ब्रांड, मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के कारण समय की कसौटी पर खरा उतरा है।

एम्स के बहुत से बेहतरीन चिकित्सक रहे हैं, और इसके पूर्व छात्र न केवल देश के बल्कि विदेशों के भी विभिन्न शीर्ष अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के प्रमुख हैं। यह संस्थान विशेष रूप से कोविड-19 महामारी जैसी वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के दौरान अभूतपूर्व अनुसंधान में भी आगे रहा है। अभिनव अनुसंधान और रोगी उपचार के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा की तरक्की के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता वास्तव में सराहनीय है।

भारत अब 2047 में अमृत काल के अंत तक एक विकसित देश बनने की ओर अग्रसर है, तो मुझे विश्वास है कि एम्स भविष्य में भी विकास के अपने मूल आधार को बनाए रखेगा।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि एम्स ने अपने सभी कार्यों में सुशासन सुनिश्चित करने, पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं। किसी भी संगठन के सुचारु विकास के लिए सुशासन आवश्यक है और एम्स इसका अपवाद नहीं है। इसकी जिम्मेदारी स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और अनुसंधान से ज्यादा है। और यह एक ऐसा वातावरण तैयार करने से भी जुड़ी है जहां हर हितधारक का ध्यान दिया जाता है, संसाधनों का विवेकसम्मत उपयोग किया जाता है और उत्कृष्टता को आदर्श समझा जाता है।

देवियो और सज्जनो,

स्वास्थ्य सेवा में हुए विकास से जीवन प्रत्याशा बढ़ी है। परिणामस्वरूप, वृद्ध लोगों की संख्या में वृद्धि होगी और इस क्षेत्र में नई चुनौतियाँ सामने आएंगी। साथ ही, चिकित्सकों के सामने आधुनिक समय में जीवनशैली में बदलाव के कारण होने वाली बीमारियों भी आ रही हैं। हमें मालूम है कि हमें सभ्यता के विकास से सामने आने वाली उन चुनौतियों से निपटना है, जिन्हें बदला नहीं जा सकता।

इस मंच पर, मैं भावनात्मक स्वास्थ्य के गंभीर मुद्दे पर जोर देना चाहूंगी, जो दुनिया के लिए आज एक गंभीर चुनौती है। किसी के लिए भी, विशेषकर युवा पीढ़ी के लिए, निराशा रहने की कोई गुंजाइश नहीं है। अपने अनुभव से, मैं आपको निश्चित रूप से यह कह सकती हूँ कि जीवन में हर नुकसान की भरपाई की जा सकती है, किन्तु एक अनमोल जीवन जाने के नुकसान की नहीं। मैं एम्स के विद्वान अध्यापकों से आग्रह करना चाहूंगी कि आप मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर जागरूकता अभियान चलाएँ, जिससे लोगों को इस छिपी हुई अस्वस्थता का पता चल सके।

जैसा कि आप सभी जानते हैं, यह चिकित्सा 3.0 का युग है, जिसे अमेरिकी चिकित्सक और लेखक डॉ. पीटर अटिया ने स्वास्थ्य सेवा को प्रतिक्रियाशील से सक्रिय दृष्टिकोण के रूप में परिवर्तित होने के रूप में बताया है। इस नए दृष्टिकोण के प्रारंभिक चरण में बीमारियों की जांच करने के लिए रोगियों, चिकित्सकों और नैदानिक ​​​​तकनीकों के बीच एक अनूठा सहयोग किया जाता है। पुरातन काल में, हमारे ऋषियों ने प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर और योग का अभ्यास करके दीर्घायु का रहस्य खोजा था। आधुनिक चिकित्सा जहां किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए अपेक्षाकृत अल्पकालिक प्रयोग किए जाते हैं, आयुर्वेद, योग और चिकित्सा की कई पारंपरिक पद्धतियों में मानव स्वास्थ्य के लिए दीर्घकालिक और समग्र दृष्टिकोण अपनाया जाता है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि एम्स दिल्ली ने बिमारियों के उपचार के लिए आधुनिकता और परंपरा को मिलाकर हमारी प्राचीन स्वास्थ्य उपचार पद्धतियों को अपनाया है।

एक और बात है जिसका मैं उल्लेख करना चाहूंगी, वह है स्वास्थ्य सेवा में महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह, यह अनजाने में या अन्यथा हो सकता है। यह पूर्वाग्रह केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में देखा जा सकता है। उदाहरण के लिए, एम्स के हृदय रोग विशेषज्ञों द्वारा किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि हृदय रोग के प्रारंभिक चरण में उपचार के लिए आने वाले पुरुष रोगियों की तुलना में महिला रोगियों की संख्या बहुत कम होती है। यह बात अन्य बीमारियों के बारे में भी सही है। निःसंदेह, यह एक बड़ा सामाजिक मुद्दा है। लेकिन एम्स स्वास्थ्य सेवा प्रोटोकॉल में महिला-पुरुष समानता के लिए आगे आकर अभियान शुरू कर सकता है।

देवियो और सज्जनो,

अब मैं उपाधि प्राप्त करने वाले विद्य़ार्थियों को कुछ कहना चाहती हूँ। सर्वप्रथम, मैं आपको और आपके परिवार को अपनी हार्दिक बधाई देती हूँ! इस संस्थान ने आपको ज्ञान और कौशल दिया है, और आपने समर्पण और दृढ़ता के साथ चिकित्सा पद्धति सीखी है। अपनी इंटर्नशिप के दौरान, आपको अपने ज्ञान को वास्तविक रूप से जीवन में लागू करने का अवसर मिला है। आपने उस चरण के दौरान यह भी देखा है कि मरीज़ आपसे आशा रखते हैं। उनके लिए, आप ईश्वर के देवदूत हैं। आपने देखा है कि वे विश्वास और भरोसे के साथ स्वयं को आपको सौंप देते हैं। मुझे विश्वास है कि आपको पता चल गया होगा कि किसी के दर्द को दूर करके कैसा लगता है, किसी की जान बचाने का तो आनंद ही अलग है।

जब आप कैंपस से बाहर निकलकर बाहर की दुनिया में कदम रखेंगे, तो मुझे विश्वास है कि आप उनके चेहरों की मुस्कान और उनके द्वारा दिए गए आशीर्वाद का स्मरण करेंगे। मुझे पता है कि चिकित्सा शिक्षा के अध्ययन में अधिकांश अन्य शाखाओं की तुलना में कहीं अधिक वर्ष का समय लगता है। अब आपको अपनी शिक्षा का उपयोग करते हुए एक उज्ज्वल कैरियर बनाना है। फिर भी, मैं आपसे आग्रह करूँगी कि वंचितों की मदद करने के किसी भी अवसर को चूके नहीं। इसके अलावा, देश के अनेक क्षेत्रों में पर्याप्त संख्या में चिकित्सा पेशेवर नहीं हैं। मुझे विश्वास है कि आप में से कुछ लोग भले ही वर्ष के कुछ समय के लिए ही सही, ऐसे क्षेत्रों में लोगों की सेवा करने पर विचार करेंगे।

हो सकता है, आप में से कुछ चिकित्सक आगे पढ़ाई जारी रखना चाहें और शोध में अपना करियर बनाना चाहें। इसका हम स्वागत करेंगे, क्योंकि देश को नई उपचार पद्धतियां तलाशने और मानव शरीर को बेहतर ढंग से समझने के लिए आप सब जैसे चिकित्सकों की आवश्यकता है।

आप जो भी करियर चुनें, मैं केवल एक सलाह दूँगी: अपने आस-पास के लोगों की देखभाल करना न भूलें, और इससे भी जरुरी बात, अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का भी ख्याल रखना न भूलें।

एक बार फिर, आप सब को, अध्यापकों और प्रशासन को मेरी बधाई! मेरी शुभकामनाएँ सदा आपके साथ हैं।

धन्यवाद,  
जय हिंद!  
जय भारत!

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