भारत की राष्ट्रपति ने 'क्योंझर की जनजातियाँ: लोग, संस्कृति और विरासत' विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया

राष्ट्रपति भवन : 29.02.2024

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 29 फरवरी, 2024 को क्योंझर के गंभरिया में धरणीधर विश्वविद्यालय द्वारा 'क्योंझर की जनजातियाँ: लोग, संस्कृति और विरासत' विषय पर आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने आदिवासी वेशभूषा, आभूषण और खाद्य पदार्थों की एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि क्योंझर आदिवासी बहुल जिला है और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहाँ मुंडा, कोल्ह, भुइयां, जुआंग, सांती, बथुडी, गोंड, संथाल, ओरंग और कोंध जनजातियों निवास करती हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि परिचर्चा में भाग लेने वाले शोधकर्ता जनजातीय संस्कृति के संरक्षण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा कर ठोस निष्कर्ष पर पहुंचेंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि अगर कोई समुदाय या समूह देश के विकास की मुख्यधारा में नहीं आ पाता है तो उसे हम समावेशी विकास नहीं कह सकते। इसलिए जनजातीय समुदायों के अधिक पिछड़े लोगों के विकास पर विशेष ध्यान देना होगा। भारत सरकार ने पीवीटीजी के सशक्तीकरण के लिए पीएम-जनमन की शुरुआत की है। इस पहल से आजीविका, कौशल विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, नल का पानी, स्वच्छता और पोषण प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि सभी जनजातीय भाई-बहनों के सशक्तीकरण के लिए विभिन्न योजनाओं को कार्यरूप दिया जा रहा है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आदिवासी कला, संस्कृति और शिल्प को संरक्षित और बढ़ावा देने और आदिवासियों के स्वाभिमान की रक्षा के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि आदिवासी लोग समानता और लोकतांत्रिक मूल्यों को अत्यधिक महत्व देते हैं। आदिवासी समाज, 'मैं' की जगह, 'हम' को महत्व देते हैं। आदिवासी समाज में स्त्री-पुरुष का भेदभाव नहीं होता है। यही दृष्टिकोण महिला सशक्तीकरण का आधार है। यदि हम सब इन मूल्यों को अपने जीवन में उतार लें तो महिला सशक्तीकरण का कार्य तेजी से हो सकता है।

अध्यापकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें अध्यापन के साथ-साथ शोध पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने उनसे आग्रह किया की आदिवासी गांवों में जाएँ और ग्रामीणों की स्थिति को समझें। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के पास पारंपरिक ज्ञान का भंडार है। अनुभवी जनजातीय भाई-बहन पेड़-पौधों और जड़ी-बूटियों को पहचानने, उनका उपयोग करने और उनके विशेष औषधीय गुणों का पता लगाने की कला में पारंगत होते हैं। उन्होंने कहा कि वे इन विषयों पर शोध करें और इच्छुक विद्यार्थियों को शोध करने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने उनसे मानवता के लाभ के लिए पारंपरिक ज्ञान के प्रयोग पर ध्यान देने और उन्हें विलुप्त होने से बचाने का प्रयास करने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि छात्रों में अपार संभावनाएं और क्षमताएं होती हैं। वे अपनी शिक्षा और कौशल के माध्यम से आजीविका कमा सकते हैं और आत्मनिर्भर भी बन सकते हैं। उन्होंने उनसे आग्रह किया कि वे शिक्षा के माध्यम से नई तकनीकों से तो जुड़ें लेकिन अपनी जड़ों को भी न भूलें।

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